रमाला चीनी मिल को पछाड़ रही साठ साल पुरानी बागपत मिल
बागपत जेएनएन। 300 करोड़ रुपये की लागत से रमाला चीनी मिल में नया प्लांट लगा। इसके बावजूद इस मि
बागपत, जेएनएन। 300 करोड़ रुपये की लागत से रमाला चीनी मिल में नया प्लांट लगा। इसके बावजूद इस मिल में चीनी रिकवरी सबसे कम है। इस मिल से तो साठ साल पुरानी बागपत की मिल को कहीं ज्यादा चीनी रिकवरी मिल रही है।
आठ दिसंबर तक सहकारी चीनी मिल रमाला में लगे नये प्लांट से चीनी रिकवरी 9.26 प्रतिशत का औसत है। वहीं साठ साल पुरानी सहकारी चीनी मिल बागपत का चीनी रिकवरी 9.40 प्रतिशत है, जो रमाला मिल से 0.14 प्रतिशत ज्यादा है।
आइए अब बात करते हैं 25 साल पुरानी निजी मिल मलकपुर की जिसकी चीनी रिकवरी 10.17 प्रतिशत है जो बागपत मिल से 0.77 प्रतिशत और रमाला मिल से 0.91 प्रतिशत ज्यादा है। साफ है कि रमाला चीनी
मिल में 300 करोड़ से नया प्लांट लगने के बावजूद चीनी रिकवरी कम रहने से सवाल तो खड़ा होता ही है।
पूरा खेल चीनी रिकवरी पर है। चीनी मिलों की लाभ-हानि गन्ना से प्राप्त चीनी रिकवरी पर निर्भर है। निजी
मिल के मुकाबले सहकारी मिलों में चीनी रिकवरी कम रहने के कारण का इंटरनल आडिट से ही पता लग सकता है।
--------------
अब तक चीनी उत्पादन
-3.80 लाख कुंतल उत्पादन जनपद में
-1.95 लाख कुंतल मलकपुर की मिल
-1.28 लाख कुंतल रमाला चीनी मिल
-0.57 हजार कुंतल बागपत की मिल
-------
गन्ना उपायुक्त को बताई समस्या
-किसान सुभाष नैन ने गन्ना उपायुक्त से शिकायत की कि सरूरपुरकलां समेत सात गांवों में रमाला मिल के केंद्र हैं, लेकिन इनपर गन्ना खरीद नहीं हो रही है। सरूरपुरकलां के लिए 1500 कुंतल का इंडेंट जारी कराने की मांग की। गन्ना उपायुक्त राजेश मिश्रा ने खरीद में तेजी लाने का आश्वासन दिया है।
------------
-रमाला और बागपत मिलों की चीनी रिकवरी कम है। हालांकि अब रमाला मिल की चीनी रिकवरी बढ़ रही है। रमाला आठ दिसंबर को 10.31 प्रतिशत रिकवरी रही लेकिन दूसरी मिलों से कम है। रिकवरी में सुधार के लिए हिदायत दी गई है।-डा. अनिल कुमार भारती, जिला गन्ना अधिकारी।