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छज्जू सिंह को आटा गूंथते देख हैरान रह गए थे मुख्यमंत्री

महाशय छज्जू सिंह.. इस नाम को सुन उम्रदराज लोग तपाक से बोल पड़ते हैं कि अरे भाई! यह तो खेकड़ा से विधायक रहे जो साइकिल से चलते थे। वाकई कमाल के इंसान थे जिन्हें आटा गूंथते देख हैरान रह गए थे मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 11:27 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 11:27 PM (IST)
छज्जू सिंह को आटा गूंथते देख हैरान रह गए थे मुख्यमंत्री

बागपत, जेएनएन। महाशय छज्जू सिंह.. इस नाम को सुन उम्रदराज लोग तपाक से बोल पड़ते हैं कि अरे भाई! यह तो खेकड़ा से विधायक रहे, जो साइकिल से चलते थे। वाकई कमाल के इंसान थे, जिन्हें आटा गूंथते देख हैरान रह गए थे मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा।

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बिचपड़ी गांव के स्व. छज्जू सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में सूजरा गांव में अंग्रेजों की नाक में दम करने को रेल लाइन उखाड़ी थी। 1942 के 'अंग्रेजों भारत छोड़ों' आंदोलन में चौ. चरण सिंह को अपने घर रखे थे। अंग्रेजों ने चौधरी साहब को गोली मारने का आदेश दे रखा था।

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चौधरी साहब ने चुकाया अहसान

अपने घर रखने का अहसान चुकाने को चौधरी साहब ने छज्जू सिंह को 1974 में बीकेडी से खेकड़ा सीट से चुनाव लड़ाया। छज्जू सिंह ने 43.22 प्रतिशत यानी 27288 वोट हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी बिशंबर सिंह को पराजित किया था। वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर 51.1 प्रतिशत यानी 29035 वोट लेकर कांग्रेस के अहेड़ा के स्व. चंद्र सिंह को पराजित कर वह दूसरी बार विधायक बने थे।

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तांगे से प्रचार और साइकिल पर सफर

छज्जू सिंह ने दोनों चुनाव में तांगा, साइकिल और ट्रैक्टर से प्रचार किया। विधायक होने के बावजूद साइकिल से क्षेत्र में घूमा करते थे। 1977 में नहरों की पटरी पर खड़ंजा लगवाने का बिल पास कराया।

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जब उनके कमरे पर पहुंचे सीएम

पाबला गांव के शौराज सिंह और बली गांव के करतार पहलवान बताते हैं कि 1974 में कांग्रेस नेता हेमवती नंदन बहुगुणा मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस के पास विधायक कम थे। मुख्यमंत्री को विधानसभा में एक बिल पास कराना था। मुख्यमंत्री समर्थन पाने को लखनऊ में छज्जू सिंह के सरकारी आवास पर पहुंच गए। वहां विधायक छज्जू सिंह को आटा गूंथते देख मुख्यमंत्री हैरान रह गए और अचानक मुख्यमंत्री को देख विधायक भी अचंभित रह गए।

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ठुकराया मंत्री बनने का आफर

मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने बिल के लिए समर्थन मांगा तो छज्जू सिंह ने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि हम चौधरी साहब के सिपाही हैं। मंत्री बनाने का आफर तक दिया लेकिन वह टस से मस नहीं हुए।

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छज्जू सिंह को जानिए

1914 में बिचपड़ी गांव में जन्में छज्जू सिंह कक्षा चार तक पढ़े थे। न्याय पंचायत के सरपंच, ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य रहे। 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता उनके घर बिचपड़ी आए थे। 1999 में उनका निधन हो गया था।


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