गोशाला में आग लगने से 13 गोवंश की जलकर मौत
नंगलाबड़ी गांव स्थित गोशाला में शार्ट सर्किट से पुआल में लगी आग से 13 गोवंश की जलने से मौत हो गई।
जेएनएन, बागपत : नंगलाबड़ी गांव स्थित गोशाला में शार्ट सर्किट से पुआल में लगी आग से 13 गोवंश की जलकर मौत हो गई, जबकि 15 गोवंश की हालत गंभीर है। मंजर इतना भयावह था कि जिसे देखकर लोगों का दिल भर आया।
नंगलाबड़ी गांव निवासी किसान मोहित ने दान में दो बीघा जमीन दी थी, जिस पर बनी गोशाला की देखभाल उत्तराखंड के महंत रामानुजदास कर रहे हैं। ठंड से गोवंश के बचाव के लिए टीनशेड की छत की साइड में पुआल लगाई गई थी। मंगलवार सुबह महंत किसी कार्य से बाहर गए थे। देखभाल का जिम्मा चौकीदार प्रेम पर था।
दोपहर 12.30 बजे बिजली के केबिल में शार्ट सर्किट हो गया, जिससे पुआल में आग लग गई। प्रेम ने खुद ही आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन विफल रहा। जानकारी मिलते ही ग्रामीण गोशाला की तरफ दौड़ पड़े। ग्रामीणों ने मिट्टी व पानी आदि से आग पर काबू पाया। तब तक 11 गाय व दो बछड़े जलकर मर चुके थे, जबकि 15 गोवंश बुरी तरह झुलस गए। ग्रामीणों की मानें तो गोशाला में छोटे बड़े 31 गोवंश थे। एसडीएम अजय कुमार, सीओ एमएस रावत, इंस्पेक्टर रवेंद्र कुमार व एसओ मुनेशपाल मौके पर पहुंचे। अधिकारियों की मौजूदगी में ग्रामीणों ने जेसीबी से गड्ढा खोदकर गोवंश को दबाया। घटना को देखकर महिलाओं और ग्रामीणों की आंखों में आंसू आ गए। गांव में शोक छाया है। एसडीएम का कहना है कि शार्ट सर्किट से गोशाला में आग लगी थी। मृत गोवंशों को गड्ढे में दबवा दिया है।
झुलसे गोवंशों के इलाज
को पहुंचे पशु चिकित्सक
बागपत : जैसे ही गोशाला में गोवंशों की मौत की जानकारी क्षेत्र में फैली, तो सरकारी संग निजी पशु चिकित्सक भी नंगलाबड़ी की तरफ दौड़ पड़े। पशु चिकित्सकों ने पशुओं का उपचार किया, तो महिलाएं भी गोवंश के इलाज के लिए सरसों का तेल व अन्य मरहम आदि लेकर लेकर गोशाला पर पहुंची।
मंगलवार को हृदय विदारक घटना में 13 गोवंश की जिदा जलने से मौत हुई, तो हर कोई गोशाला की तरफ दौड़ पड़ा। पशु चिकित्सक डा. मुकेश गुप्ता संग कई निजी डाक्टर भी मौके पर पहुंचे। डॉक्टरों के पहुंचने से पहले ही गांव की महिला व पुरुष गोवंश को लगाने के लिए सरसों का तेल व अन्य मरहम आदि लेकर पहुंचे। महिलाओं की सेवा को देखकर अधिकारी भी हतप्रभ रह गए। महिलाएं झुलसे गोवंश के इलाज में जुटी थीं। डॉक्टरों ने दवाई आदि भी गोवंश को दी सभी गोवंश का इलाज गोशाला पर ही हुआ। इलाज के बाद गोवंशों की हालत में सुधार है। ग्रामीण भी गोवंश की सेवा में लगे रहे।