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कुदरत ने कहर ढाया, सिस्टम को भी तरस नहीं आया

गूंगी बहरी और नेत्रहीन सोनवती का अंतिम संस्कार चंदे के कफन और लकड़ी से हुआ। मां नेत्रहीन और गूंगी है। भाभी मंदबुद्धि और भाई भी गूंगा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 12:23 AM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 06:05 AM (IST)
कुदरत ने कहर ढाया, सिस्टम को भी तरस नहीं आया

संस, बिसौली : गूंगी, बहरी और नेत्रहीन सोनवती का अंतिम संस्कार चंदे के कफन और लकड़ी से हुआ। मां नेत्रहीन और गूंगी है। भाभी मंदबुद्धि और भाई भी गूंगा है। कुदरत ने तो कहर ढाया ही है, लेकिन हुक्मरानों ने भी रहम नहीं किया। कच्चा मकान और शौच के लिए सभी लोग बाहर जाते हैं। जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवा उठ रहे हैं। तहसील मुख्यालय से मात्र नौ किमी दूर गांव नौली हरनाथपुर में इलाज के अभाव में तीस साल की सोनवती ने दम तोड़ दिया। दो वक्त के लिए रोटी नहीं थी तो फिर कफन और अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी कहां से आती। गांव वालों ने चंदा करके कफन और लकड़ी की व्यवस्था की तब कहीं जाकर सोनवती का अंतिम संस्कार हुआ। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सोनवती की 70 वर्षीय मां नेत्रहीन और गूंगी है। इतना ही नहीं उसका भाई रामप्रसाद और भाभी नीलम भी गूंगी। कच्चा घर है, घर में चार मासूम बच्चे हैं। रामप्रसाद एक भट्ठे पर मेहनत मजदूरी करके दो वक्त की रोटी जुटा पाता है। सुबह खा लिया तो शाम की रोटी का पता नहीं। कच्ची दीवारें और पन्नी के नीचे पूरा परिवार रह रहा है। इतना नहीं पूरा गांव तो ओडीएफ है, लेकिन इस गूंगे परिवार को एक अदद शौचालय नहीं मिला। सरकारी सहायता के नाम पर परिवार को सिर्फ राशन ही मिलता है। इंसेट..

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आवास के लिए सिस्टम ने बता दिया अपात्र

एक साल पहले गांव के कुछ समाज सेवियों ने इस परिवार को प्रधानमंत्री आवास दिलाने के लिए भागदौड़ की थी। कागजों में नाम भी चला गया, लेकिन रामप्रसाद को अपात्र बताकर नाम निरस्त कर दिया गया। सरकारी तंत्र ने राजनीतिक दबाव के चलते एक पात्र को अपात्र बताकर कागजी हेरफेर कर ली। इंसेट..

जमीन पर बिखरा चावट बटोर कर खा रहे थे मासूम

थाली से गिरे चावलों को जमीन से बटोर कर खा रहे थे मासूम। जब इस परिवार से जानकारी लेने जागरण घर पहुंचा तो दो मासूम जमीन पर गिरे चावल बटोर कर खा रहे थे। अजनबियों को घर में आता देखकर मासूम सहम गए। थाली और जमीन पर पड़े चावलों को छोड़कर चले गए। यह हाल पूरे परिवार के हालात को बयां करने के लिए काफी है। वर्जन..

शौचायल बनवा दिया गया है। आवास के लिए लिस्ट में नाम भेज दिया गया है। इस परिवार को राशन मिल रहा है।

- जितेंद्र सिंह, प्रधान वर्जन ::

इस परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पात्र होने पर पूरी सरकारी सहायता दी जाएगी।

- सीपी सरोज, एसडीएम

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