सपा में यादव-मुस्लिम गठजोड़ मजबूत करने की कवायद
जेएनएन बदायूं रुहेलखंड में बदायूं सपा का गढ़ रहा है। यहां यादव-मुस्लिम गठजोड़ सपा की बड
जेएनएन, बदायूं : रुहेलखंड में बदायूं सपा का गढ़ रहा है। यहां यादव-मुस्लिम गठजोड़ सपा की बड़ी ताकत रही है। इसी के बलबूते पार्टी 1996 से लेकर 2019 तक लोकसभा सीट ही नहीं विधानसभा सीटों पर भी दबदबा बनाए रही थी। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सपा के किले को ध्वस्त किया। पांच बार सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी भी चार बार सपा के टिकट पर जीतकर दिल्ली पहुंचे थे। अब फिर शेरवानी की सपा में वापसी से पुराना गठजोड़ दिखेगा।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बदायूं से गहरा रिश्ता बनाया था। सलीम शेरवानी भी लंबे समय तक उनकी टीम के हिस्सा रहे। 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में वह लगातार सांसद बनते रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव में शेरवानी का टिकट काटकर मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को यहां से मैदान में उतारा। इसके बाद सपा से शेरवानी की दूरियां बढ़ती गईं। फिर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुराने नेताओं को फिर एकजुट करने कोशिश शुरू की तो सलीम शेरवानी की फिर सपा में वापसी हो गई है।
क्या होगी शेरवानी की सियासी जमीन
बदायूं में पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव लगातार दो बार सांसद रहे हैं। शेरवानी भी यहां से पांच बार सांसद रहे हैं। अब देखना यह है कि शेरवानी यहीं आएंगे या कहीं और सियासत जमीन तैयार करेंगे इसको लेकर संशय बना हुआ है।
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आबिद रजा कहां रहेंगे अभी असमंजस
सलीम शेरवानी के साथ पूर्व मंत्री आबिद रजा भी सपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे। शेरवानी के साथ ही इनके भी सपा में जाने की अटकलें थीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आबिद रजा का कहना है कि आजम खां परिवार के साथ अभी जेल में हैं, उनके जेल से बाहर निकलने पर ही सियासी फैसला करेंगे।