गिरवी-गाठें डकारने को घर में कराई थी डकैती
सर्राफा कारेाबारी के यहां हुई डकैती के सच से पुलिस ने पर्दा उठा दिया।
सच से उठा पर्दा
- फोरेंसिक की रिपोर्ट और तकनीक से खोल दी सर्राफा कारोबारी की पोल
- 16 फरवरी की रात 1.20 करोड़ की कथित डकैती होने का लिखाया था झूठा मुकदमा
- कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी, डीएम की अनुमति लेकर होगी गिरफ्तार जागरण संवाददाता, बदायूं : आखिरकार बिल्सी के सर्राफा कारोबारी अमित वाष्र्णेय के घर 16 फरवरी की रात हुई एक करोड़ 20 लाख की डकैती के सच से पर्दा उठ ही गया। फोरेंसिक लैब की जांच रिपोर्ट समेत विशेषज्ञों की जांच और तकनीक के आधार पर पुलिस ने सर्राफा कारोबारी के घर हुई डकैती को फर्जी करार देते हुए षड़यंत्र के तहत मुकदमा लिखाया था। सर्राफ गिरवी रखी गांठें हजम करना चाह रहा था। इसलिए यह ड्रामा किया था। सोमवार को एसएसपी ने उसके ड्रामे से पर्दा हटा दिया। आरोपित के खिलाफ फर्जी मुकदमा लिखाने की कार्रवाई भी की जा रही है। ताकि डीएम की अनुमति के बाद उसे गिरफ्तार किया जा सके।
यह था मामला
बिल्सी के मुहल्ला संख्या छह निवासी सर्राफ अमित की ओर से 17 फरवरी की सुबह मुकदमा लिखाया गया था कि छत के रास्ते सीढि़यों का गेट काटकर सशस्त्र बदमाश भीतर दाखिल हुए और असलहों के बल पर पूरे परिवार को बंधक बना लिया। पत्नी पूजा को नीचे दुकान में ले गए और वहां से छह लाख कैश समेत सोने-चांदी के जेवरात लूटे गए। यह माल करीब एक करोड़ 20 लाख रुपये का दिखाया था। इतनी बड़ी डकैती की वारदात के बाद पुलिस ने हर पहलू पर जांच शुरू की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इधर, व्यापारियों ने धरना प्रदर्शन कर घटना के खुलासे की मांग की थी। भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य, सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता मौके पर पहुंचे और जल्द खुलासे का आश्वासन देकर व्यापारियों को हटाया था। एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी ने उन दिनों जिले का चार्ज संभाला ही था। उन्होंने भी अपना पूरा अनुभव घटना के खुलासे में झोंका तो उसका यही नतीजा निकलकर आया। अंदर से काटा था दरवाजा, ऐसे कड़ी से कड़ी जुड़ती गई
- पुलिस ने इस केस में विपरीत दिशा में जांच शुरू की। इस दौरान कामयाबी मिलती गई। जिस सीढ़ी पर चढ़कर बदमाशों के घर में घुसने की बात कही थी, उस सीढ़ी का कोई निशान पुलिस को दीवार पर नहीं मिला। तीन मंजिल तक पतली दीवारों पर चलकर पहुंचने के बाद लुटेरों का उसी रास्ते वापस लौटना भी संदेह खड़ा कर रहा था। अमित समेत उसकी पत्नी का बयान फर्जी निकला। घटना के अगले दिन पूजा ने बरेली दवा लेने जाने की बात कही थी। जांच में पता लगा कि वह मथुरा घूमकर लौटी थी। अमित भी घटना वाले दिन बरेली के आरपी व आरजी ज्वैलर्स से गहने खरीदकर लाने की बात कह रहा था लेकिन वहां से उसका कोई लेनदेन नहीं हुआ था। इतना ही नहीं मुरादाबाद एफएसएल की रिपोर्ट में भी यह पुष्टि हुई कि सीढि़यों का लोहे का दरवाजा बाहर से नहीं बल्कि भीतर से काटा गया था। सीसीटीवी का डीवीआर भी विशेषज्ञों ने बिल्कुल ठीक बताया। लुटेरों का अपना तमंचा व चाकू छोड़कर जाना भी गले नहीं उतर रहा था। यह बुने थे ख्वाब
अमित ने सोचा कि आंदोलन करके दबाव बनाएगा तो पुलिस दो फर्जी लड़के पकड़ लाएगी और लूट का कुछ माल व रुपये अपने पास से उन पर दिखा देगी। बाकी के दो कथित लुटेरे मय सारे माल के फरार दिखाए जाएंगे। इसके बाद वह लोगों का गिरवीं रखा माल डकार जाएगा। साल 2009 में भी उसके यहां चोरी की घटना हुई थी तो वह गिरवीं रखा माल लोगों का वापस नहीं किया था। जबकि इस घटना का खुलासा न होने पर ग्राहकों के दबाव में वह लगभग 50 लाख की गिरवी लौटा चुका है। वर्जन
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घटना पूरी तरह फर्जी थी। केवल गिरवीं माल डकारने के लिए सर्राफ ने यह ड्रामा किया था। फोरेंसिक जांचें समेत उसके खिलाफ तमाम साक्ष्य मिले हैं। उस आधार पर उसके खिलाफ धारा 182 के तहत लिखापढ़ी की जा रही है।
अशोक कुमार त्रिपाठी, एसएसपी
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