ऑनलाइन पढ़ाई में पता नहीं चलती विद्यार्थियों की मनोदशा
कक्षाओं और ऑनलाइन पढ़ाई में बहुत अंतर है। कक्षाओं में बच्चे शिक्षकों से पूछकर अपनी शंका दूर कर सकते हैं लेकिन ऑनलाइन में सवालों का जवाब नहीं मिल पाता। ऑनलाइन पढ़ाई में शिक्षक विद्यार्थियों की मनोदशा को भी नहीं पढ़ पाएंगे।
जागरण संवाददाता, बदायूं : कक्षाओं और ऑनलाइन पढ़ाई में बहुत अंतर है। कक्षाओं में बच्चे शिक्षकों से पूछकर अपनी शंका दूर कर सकते हैं लेकिन ऑनलाइन में सवालों का जवाब नहीं मिल पाता। ऑनलाइन पढ़ाई में शिक्षक विद्यार्थियों की मनोदशा को भी नहीं पढ़ पाएंगे। ऑनलाइन पढ़ाई करने में पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाएगा। एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को लेकर सवाल चल रहा है। 24 फरवरी से परीक्षा शुरु हुईं लेकिन पूरी नहीं हो सकी हैं। फोटो 14 बीडीएन 24
छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाने का सरकार का फैसला सराहनीय है। सीबीएसइ बोर्ड के बच्चों के पास तो लगभग सुविधा होती है लेकिन माध्यमिक बोर्ड के बच्चों से यह व्यवस्था दूर ही रह पाएगी। बच्चों को पढ़ाने के सरकारी एप्लीकेशन निश्चित रूप से फायदेमंद हैं लेकिन गांव के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। कक्षाओं में बच्चों को आसानी से पढ़ाया जा सकता है लेकिन घर पर ज्यादातर बच्चों का फोकस पढ़ाई पर नहीं हो पाता।
- सीपी सिंह, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज, बदायूं। फोटो 14 बीडीएन 25
विद्यार्थियों को कक्षा और ऑनलाइन पढ़ाने में जमीन-आसमान का अंतर है। कक्षा में बैठे छात्र-छात्राओं की मनोदशा को समझकर उसे पढ़ाया जा सकता है। वह कक्षा में ही सवाल कर लेगा तो आसानी से उसके दिमाग में बैठ जाएगा लेकिन ऑनलाइन कक्षा में काफी हद तक उसकी आशंका दूर नहीं हो पाती है। ऑनलाइन पढ़ाई की जानकारी लेने पर ग्रामीण आंचल के बच्चों में हीनभावना आती है कि उसके पास अच्छा मोबाइल, लैपटॉप आदि नहीं है।
- डॉ. राकेश जायसवाल, राजकीय महाविद्यालय।