Move to Jagran APP

धान खरीद :: 13 सौ में खरीद कर 1835 में किसानों का धान बेच रहे माफिया

जिले में धान खरीद की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। अधिकांश धान क्रय केंद्रों पर किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है लेकिन धान की खरीद रोजाना दिखाई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 11:50 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 06:18 AM (IST)
धान खरीद :: 13 सौ में खरीद कर 1835 में किसानों का धान बेच रहे माफिया
धान खरीद :: 13 सौ में खरीद कर 1835 में किसानों का धान बेच रहे माफिया

जागरण संवाददाता, बदायूं : जिले में धान खरीद की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। अधिकांश धान क्रय केंद्रों पर किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है, लेकिन धान की खरीद रोजाना दिखाई जा रही है। जिम्मेदार अधिकारियों और माफिया की साठगांठ से यह खेल किया जा रहा है। किसान को जहां सेंटरों पर धक्के खाने पड़ रहे हैं तो माफिया उनका धान अपने फड़ों पर 1300 रुपये में खरीदकर सहकारी सेंटरों पर 1835 रुपये क्विटल बेच हैं। ऐसा नहीं इसकी जानकारी जिम्मेदारों को न हो पता सभी को है, लेकिन आपसी तालमेल से सभी माफिया और बिचौलियों को सेंटरों पर मौजूद होने के बाद भी अनदेखा किया जा रहा है। इससे सिस्टम पर ही सवाल उठने लगे हैं। जिले में धान खरीद शुरू होने से पहले जिम्मेदार अधिकारियों ने दावा किया था कि इस बार किसी भी सेंटर पर कोई माफिया या बिचौलिया दिखाई नहीं देगा। केंद्र संचालकों को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई कि अगर माफिया या बिचौलियों का धान खरीदा गया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेजा जाएगा। सरकारी चेतावनी के बाद किसानों को उम्मीद थी इस बार उनका धान खरीदा जाएगा। ऐसे में 37 क्रय केंद्र खोले जाने की भी घोषणा की गई। किसानों की फसल जब खेत से बाहर आई तो वह सेंटरों पर इस उम्मीद के साथ ले गए उनको सरकार की ओर से निर्धारित मूल्य मिलेगा। ऐसे में कई दिनों तक तो किसान सेंटरों की तलाश में भटकते रहे उनको केंद्र नहीं मिले तो माफिया या बिचौलियों के यहां वह धान बेचने लगे। इससे सिस्टम पर सवाल खड़े हुए तो प्रशासनिक अफसरों ने सभी सहकारी क्रय केंद्रों की सूची सार्वजनिक कर दी। सूची सार्वजनिक करने के बाद किसानों को पता चला कि कौन से स्थान पर कौन से एरिया का सेंटर लगा हुआ है तो वह उस सेंटर पर पहुंचे जहां कहीं पर खरीद का सिर्फ बैनर लगा मिला तो कुछ सेंटरों पर ताले पड़े हुए थे। इसके बाद भी कई सेंटर कागजों में ही चल रहे थे। किसानों ने बैनर पर दर्ज जिम्मेदार अधिकारियों के नंबरों पर शिकायत दर्ज कराई इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इस बार किसान पिछले वर्षों से ज्यादा ठगा गया है। अब वह मंडियों में पहुंचता है तो माफिया या बिचौलियों के अलावा उसका धान खरीदने वाला कोई नहीं मिलता। हैरत की बात तो यह है कि माफिया औने-पौने दामों में किसानों का धान खरीदकर सेंटरों पर डाल रहे हैं और सिस्टम के दावे उनके सामने पूरी तरह से फेल हैं। इस वजह से अब जिले के किसान आक्रोशित होने लगे हैं।

loksabha election banner

---------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.