आओ असल पुण्य कमाएं, जरूरतमंदों के लिए पर्व मनाएं
जेएनएन बदायूं भारतीय संस्कृति में हर पर्व की अपनी अलग विशेषता है। दो जून को मनाई जाने वाली
जेएनएन, बदायूं : भारतीय संस्कृति में हर पर्व की अपनी अलग विशेषता है। दो जून को मनाई जाने वाली निर्जला एकादशी पर्व की तैयारी की जा रही है। पर्व का अर्थ समाज को संस्कृति, आरोग्यता, एकता, प्रेम और भाईचारे से जोड़ना होता है। निर्जना एकादशी पर खुद निर्जल उपवास रखकर माताओं, कन्याओं और मान्यों को शर्बत पिलाया जाता है। दान-पुण्य भी किया जाता है। कोरोना काल में तीज-त्योहारों के मायने भी बदल गए हैं। इस पर्व के बहाने हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि जरूरतमंद की मदद भी हो जाए और कामगारों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ जाएं।
बुद्धिजीवियों और आचार्याें का कहना है कि अगर उन वस्तुओं का दान किया जाए जिनका उपयोग हो और उत्पादन करने वालों को भी लाभ पहुंचे। गर्मी का मौसम आ चुका है। निर्जला पर्व पर घड़ा, सुराही, हाथ से बने पंखे दान कर हम समाज को दो तरह से लाभ पहुंचा सकते हैं। वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप कहते हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने शोधपरक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पर्वों को मनाने की परंपरा डाली है। उपवास का मतलब परमेश्वर के करीब रहना है। निर्जल व्रत किसी भी परिस्थिति से निपटने में आत्मनिर्भर बनाते हैं। कोरोना संक्रमण के लिहाज से देखें तो आज संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को क्वारंटाइन किया जा रहा है। भारतीय पर्वों में व्रत धारण कर भक्तिभाव में लीन होना और सामाजिक दूरी बनाकर रखना इसी का द्योतक है कि हम खुद को संक्रमण से भी बचाव करते हैं। सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. विष्णु प्रकाश मिश्र कहते हैं कि निर्जला एकादशी पर्व पर मिट्टी के बर्तनों का दान करना समाज हित में होगा। वह कहते हैं कि घर में मिट्टी का बर्तन होने पर फ्रिज पर निर्भरता कम होगा और लोग नुकसानदेह फ्रिज का पानी पीने से भी बच जाएंगे। इसका दोहरा फायदा मिलेगा, एक तो जरूरतमंद की जरूरत पूरी हो जाएगी दूसरे कुम्भकारों का रोजगार भी बढ़ेगा। हाथ से बना पंखा भी दान करने पर इसी तरह का समाज को दोहरा लाभ पहुंचेगा। मौजूदा कोरोना महामारी को देखते हुए परंपरा से अलग हटकर दान करना चाहिए। गरीबों को घरेलू उपयोग की वस्तुएं चावल, दाल, आटा, मटका, सुराही का दान देना चाहिए।
- महंत अमित शर्मा, श्री शिव शक्ति मंदिर - कोरोना वायरस के चलते ऐसे में गरीब लोगों की मदद करना ही व्रत के सामान है। लोगों को इस समय ज्यादा से ज्यादा दान करना चाहिए। दान देने से कभी धन नहीं घटता है।
- ओमकार सिंह भारतीय संस्कृति की विशेषता ने कोरोना संक्रमण काल में भी समाज में प्रेम और भाईचारा बनाए रखा है। एकादशी व्रत धारण कर इसे समाज सेवा के अवसर के रूप में देखना चाहिए।
- माया देवी ऋषि-मुनियों ने व्रत-त्योहार को बहुत सामयिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बनाया है। इस पर्व पर हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि गरीबों की मदद भी हो और लोगों का रोजगार भी बढ़े।
- सुरेश पाल - दान हमेशा गरीब व्यक्ति को देना चाहिए ताकि उसकी भूख मिट सके। कोराना महामारी में घड़ा, सुराही हाथ का पंखा दान दिया जाए तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
- प्रशांत सक्सेना
- गर्मी के मौसम में एकादशी पर शर्बत का वितरण करने के साथ गरीबों को ऐसी वस्तु दान किया जाना चाहिए ताकि दैनिक जीवन में उसके लिए उपयोगी साबित हो।
- अमित शर्मा