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रकम के पचड़े में टेंशन देगी हाईटेंशन

गर्मी का मौसम करीब आ रहा है। ओवरलोडिग के चलते हाईटेंशन लाइनें टूटने की घटनाएं बढ़ना लाजिमी है। ऐसे में शहर समेत आसपास के कुछ इलाकों में जर्जर हाईटेंशन लाइनें इस बार भी परेशानी का सबब बनेंगी। क्योंकि सर्वे के बाद लाइनें बदलवाने के लिए भेजा गया बजट शासन से पास नहीं हुआ है। ऐसे में पुरानी लाइनों के भरोसे ही बिजली व्यवस्था रहेगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 12:12 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 12:12 AM (IST)
रकम के पचड़े में टेंशन देगी हाईटेंशन
रकम के पचड़े में टेंशन देगी हाईटेंशन

जागरण संवाददाता, बदायूं : गर्मी का मौसम करीब आ रहा है। ओवरलोडिग के चलते हाईटेंशन लाइनें टूटने की घटनाएं बढ़ना लाजिमी है। ऐसे में शहर समेत आसपास के कुछ इलाकों में जर्जर हाईटेंशन लाइनें इस बार भी परेशानी का सबब बनेंगी। क्योंकि सर्वे के बाद लाइनें बदलवाने के लिए भेजा गया बजट शासन से पास नहीं हुआ है। ऐसे में पुरानी लाइनों के भरोसे ही बिजली व्यवस्था रहेगी।

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हाईटेंशन लाइनें टूटने से लोगों की जान को खतरा न हो, साथ ही आसपास के गांवों में गेहूं की फसल को यह लाइनें जलाकर राख न कर दें, इसके लिए विद्युत विभाग ने जर्जर लाइनों का सर्वे कराया। जिसमें करीब साढ़े चार हजार मीटर की लाइनें बदलने की रिपोर्ट तैयार की गई। जिस पर करीब 14 लाख रुपये का बजट मांगा गया।

बिजलीघर बनने से छोटी हुई लाइनें

- जिले में पिछले तीन साल में 11 नए बिजलीघर बने हैं। म्याऊं, कालूपुर, फैजगंज बेहटा समेत विभिन्न स्थानों पर बने 10 एमवीए क्षमता के इन बिजलीघरों के कारण देहात इलाकों में लाइनों की दूरी कम हो गई है। ऐसे में लगातार निगरानी में आसानी रहती है और फाल्ट के बाद लाइन टूटने की संभावनाएं काफी हद तक कम हो गई हैं। वहीं, गर्मी में ओवरलोडिग से लाइनें ढीली रहती हैं, जबकि सर्दी में सिकुड़ जाती हैं। गर्मी में लाइन डालने पर सर्दी में सिकुड़कर टूटने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए लाइन डालने के लिए सर्दी का मौसम ही ज्यादा उचित रहता है। वर्जन ::

बजट के लिए प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन रकम अभी नहीं मिली है। समय रहते रकम मिल जाती है तो गर्मी का सीजन शुरू होने से पहले ही लाइनें डलवा दी जाएंगी।

- वाइएस राघव, अधिशासी अभियंता


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