पूर्ण आहुति के साथ गायत्री महायज्ञ का समापन
अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा का चौथे दिन पूर्णाहुति के साथ यज्ञ का समापन हो गया।
संसू, उझानी : अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा का चौथे दिन पूर्णाहुति के साथ यज्ञ का समापन हो गया। ग्रामीणों ने दक्षिणा में अपनी बुराई दी। मातृशक्ति और देव कन्याओं ने दीप प्रज्ज्वलित किए। पुंसवन, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत और दीक्षा संस्कार हुए। गौ, गंगा, गायत्री, गीता यह भारत की शान पुनीता के जयघोष गूंजते रहे।
शांतिकुंज हरिद्वार से आए टोली नायक शशिकांत सिंह ने कहा कि मनुष्यता पाने के लिए श्रेष्ठ ज्ञान अर्जित कर संस्कारवान बनें, सुविचारों से आध्यात्मिक प्रखरता लाएं। सहायक टोली नायक बसंती लाल सोलंकी ने कहाए गृहस्थ एक तपोवन है जो चार आश्रमों से श्रेष्ठतम है। शांतिकुंज के स्वेन कुमार, चिताराम नाग और दिनेश पाल ने मनुज देवता बनें, बनें यह धरती स्वर्ग समान प्रज्ञागीत का श्रवण कराया। यज्ञ में पुंसवन, अन्न प्रासन, नामकरण, विद्यारंभ, दीक्षा और जन्मदिवस और विवाह दिवस संस्कार भी हुए। जेपी सिंह ने नियमित योगाभ्यास कराया। इस मौके पर बी ज्ञानेंद्र, रामभरोसे लाल माहेश्वरी, सुखपाल शर्मा, नरेंद्रपाल शर्मा, चेयरमैन दीपमाला गोयल, डीपी सिंह, सुरेंद्र पाल सिसौदिया, कालीचरन, सृष्टि, दीप्ति, प्रदीप गोयल ने देव पूजन, धीरेंद्र सोलंकी, भुवनेश शर्मा, डॉ.वीपी शर्मा, प्रदीप गुप्ता, आर्येंद्र यादव, ध्रुव यादव आदि मौजूद रहे।