सरकारी वेतन लेकर निजी अस्पताल में सेवाएं दे रहीं आशाएं
तमाम ऐसी आशाएं हैं जो सरकारी वेतन लेने के बावजूद डयूटी निजी अस्पतालों में बजा रही हैं।
बदायूं : सरकारी अस्पतालों के बजाए मोटी कमीशन लेकर निजी नर्सिग होमों में गर्भवती महिलाओं को ले जाने वाली आशाओं पर एक बार फिर शिकंजा कसा गया है। डीएम के निर्देश पर गठित हुई प्रशासनिक टीम की जांच में ऐसी कई आशा वर्कर चिह्नित हुई हैं जो मोटी कमीशन लेकर सरकारी प्रसव केंद्रों के बजाए निजी नर्सिग होम को सेवाएं देने वाली आशाओं पर अब मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
जिला महिला अस्पताल में सुबह से रात तक तमाम आशा वर्करों का जमावड़ा लगा रहता है। उसमें अधिकांश आशा वर्कर निजी अस्पतालों की एजेंट बनकर वहां मरीजों को गुमराह करती रहती हैं। गांवों से आने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रसव सरकारी अस्पताल में कराने के बजाए वह अस्पताल स्टाफ की साठगांठ से तीमारदारों को बीमारी का भय दिखाकर उन्हें बताए अस्पताल में जाने को मजबूर कर देती हैं।
बताते हैं कि आशा वर्करों से प्राइवेट नर्सिग होमों से उनको बीस से लेकर तीस प्रतिशत तक की कमीशन मिलती है इसलिए वह जिला महिला अस्पताल की सभी व्यवस्थाओं को खराब बताते हुए मरीजों के तीमारदारों को गुमराह कर देती हैं। इससे गरीब परिवारों को मामूली प्रसव के ही हजारों रुपये खर्च करने होते हैं। आशाओं के इस खेल की शिकायत बीते दिनों डीएम दिनेश कुमार सिंह तक पहुंची तो उन्होंने चार आशा वर्करों की सेवा समाप्ति के निर्देश देते हुए जांच टीम का गठन कर गोपनीय जांच कराई थी। इस जांच में कई आशाओं के नाम प्रकाश में आए हैं जो इस तरह का रैकेट चला रही हैं। उन सभी के खिलाफ जल्द ही मुकदमा दर्ज कराकर उनको जेल भेजा जाएगा। वर्जन ..
जो भी आशा मरीजों के तीमारदारों को गुमराह कर उनको सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में ले जाती हैं उनको चिह्नित कर लिया है। गोपनीय जांच चल रही है ऐसे में अस्पताल स्टाफ का नाम भी सामने आता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
- केके अवस्थी, सिटी मजिस्ट्रेट