अव्यवस्था : जरूरी दवाओं की किल्लत, दम तोड़ रहे मासूम, लोगों के पास नहीं कोई विकल्प
जिला महिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में जरूरी दवाओं की किल्लत हो गई है। जबकि दवाएं न होने के कारण नवजातों की जान पर भी बन जाती है।
बदायूं, जेएनएन : जिला महिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में जरूरी दवाओं की किल्लत हो गई है। जबकि यह दवाएं न होने के कारण नवजातों की जान पर भी बन आती है। वहीं यूपीएमएससी की ओर से दवाएं यहां नहीं पहुंची हैं। स्थानीय स्तर पर भी इनकी खरीद नहीं की जा रही है। नतीजतन परिजनों को अपने बच्चों की जान बचाने के लिए बाहर की दवा लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
एसएनसीयू में व्यवस्थाएं एक बार फिर बदतर हो चली हैं। नवजात की सांस फूलने पर दी जाने वाली दवा कैफीन नहीं है तो दौरे पड़ने पर फीनो वार्टोन समेत दिमागी इंफेक्शन या दिमागी बुखार में काम आने वाली मीरोपिनिम भी नहीं है। जबकि कम समय में जन्म लेने वाले बच्चों को सबसे ज्यादा इन्हीं दवाओं की जरूरत पड़ती है। ताकि उन्हें बचाया जा सके। इन दवाओं के न होने के कारण बच्चे केवल वार्मर में ही रखे जाने की व्यवस्था रह गई है।
अब तक हो चुकी आठ की मौत : 21 जून से अभी तक इन्हीं दवाओं की किल्लत के कारण आठ बच्चों की मौत भी हो चुकी हैं। हालांकि इनमें अधिकांश समय से पहले जन्मे हुए थे। कुछेक तीमारदारों ने बाहर से दवा लाकर बच्चों को दिलवाई तो उनकी जान बच भी गई। जबकि जिम्मेदार इस ओर कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
इंफ्यूजन पंप आए पर लाइन नहीं : बच्चों को सांस दिलाने और दवा देने के लिए तीन इंफ्यूजन पंप तो मिल गए हैं लेकिन इनकी पीएमसी लाइन नहीं मिली है। ऐसे में पंप भी बेकार पड़े हैं। पिछले दिनों यूनीसेफ की टीम ने भी यहां का मुआयना कर दवाएं भिजवाने की बात कही थी लेकिन नतीजा निल रहा।
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. रेखा रानी ने बताया कि यूपीएमएससी से अधिकांश दवाएं मुहैया कराई जाती हैं। जो दवाएं नहीं होती उन्हें स्थानीय स्तर पर खरीदते हैं। किन दवाओं की कमी है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।