उगते सूरज को अर्घ्य देकर किया परायण
संतति प्राप्ति और समृद्धि के लिए किए जाने वाले लोक पव सूर्य षष्ठी यानि चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो गया।
बदायूं : संतति प्राप्ति और समृद्धि के लिए किए जाने वाले लोक पव सूर्य षष्ठी यानि चार दिवसीय छठ पर्व का उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया। व्रतधारी महिलाओं ने अर्घ्य देकर परायण किया। व्रतधारी बिहार की महिलाओं की संख्या अधिक होने से नेकपुर मुहल्ले में पूरी रात रौनक बनी रही। अगले साल से यह पर्व और भव्यता के साथ मनाए जाने की उम्मीद है।
जिले के इक्का-दुक्का लोग ही पूर्वांचल के इस लोकपर्व को मनाते थे। अब यह पर्व मनाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई साल से सिर्फ रेलवे कॉलोनी में पूर्वांचल के परिवारों में ही यह पर्व मनाया जा रहा था। नेकपुर मुहल्ले में रह रहे आरा, बिहार के करीब आधा दर्जन परिवारों ने पर्व धूमधाम से मनाना शुरू किया। इस पर्व में जल में खड़ा होकर अस्ताचलगामी और उगले सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। गंगा नदी दूर है, आसपास कोई तालाब न होने से पर्व मना रहे परिवारों ने कृत्रिम तालाब बनाकर विधि-विधान से पूजा अर्चना की। स्टेशन मास्टर पारस की मां सरोज देवी परिवार के साथ कछला पहुंचीं जहां उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। वहीं नेकपुर की महिलाओं ने पास में बनाए गए तालाब में ही सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण किया। कलब केसरी, नारायण केसरी, लाल बाबू केसरी, मनोज केसरी, शिवजी प्रसाद केसरी, मोती केसरी, सीमा देवी केसरी, बबिता देवी केसरी, शोभा देवी केसरी श्रद्धा और उल्लास के साथ पर्व मनाया। रात पर गीत संगीत का कार्यक्रम चलता रहा। इस बार पर्व मनाने में जो रुचि दिखाई गई उससे उम्मीद की जा रही है अगले साल से यहां भी भव्य तरीके से छठ पर्व मनाने की शुरूआत हो जाएगी।