डीएम साहब, कब तक सांड़ लेते रहे बेगुनाहों की जानें
जिले में सांड़ अब तक चार लोगों की जानें ले चुके हैं। फिर भी सांड़ों पर नहीं पकड़ा जा रहा है।
बदायूं : जिले में सांड़ों के आतंक से हर तबका दहशत में आ चुका है। बेलगाम हुए इन सांड़ों ने अभी तक तीन लोगों को काल का ग्रास बनाया था। जबकि चौथी घटना गुरुवार को दातागंज में हो गई। इन सांडों को बंद करने के लिए गोशालाएं भी खोली गई लेकिन पशुओं की धरपकड़ से लेकर उन्हें अस्थाई गोशाला में पहुंचाने का पूरा काम महज कागजों में हुआ। इसी का प्रमाण है कि शहर से लेकर देहात इलाकों तक तमाम स्थानों पर घुमंतू पशु मिल जाते हैं।
जिले में आवारा सांड़ के हमले में मौत की पहली घटना 10 जनवरी को हुई थी। बिल्सी के मुहल्ला संख्या तीन निवासी धर्मवीर (11) पुत्र चंद्रपाल घर से जा रहा था। रास्ते में अस्थाई गौशाला से छूटकर भागे सांड ने उसे पटककर मार डाला। वहीं 27 जनवरी को उसहैत के गांव मुगर्रा निवासी रामलड़ैते (30) को खेत पर सांड ने घेरने के बाद पटक-पटककर मार डाला। इतना ही नहीं उसका शव भी सींग पर लटकाकर सांड काफी देर तक खेतों में भटकता रहा। वहीं जरीफनगर के मुस्तफाबाद जरेठा गांव निवासी 60 वर्षीय रामस्वरूप को भी सांड के हमले में 29 जनवरी को जान गंवानी पड़। जबकि गुरुवार को दातागंज में वृद्धा को सांड ने पटककर मार डाला। यहां तो स्कूलों को बनाया पशुशाला
- शासन से पशुओं को अस्थाई गौशाला में शिफ्ट करने का फरमान जारी हुआ तो अफसरों ने कहीं प्राथमिक विद्यालयों तो कहीं पंचायतघरों में पशुओं को बांधना शुरू कर दिया। जबकि उनके खाने-पीने की व्यवस्थाएं भी कागजों में ही हुईं। धीरे-धीरे यह पशु पुन: आजाद हो गए और आतंक मचाने लगे हैं।