मजबूत किए जा रहे बांध, बन रही ठोकरें
जेएनएन, बदायूं : गंगा में हर साल बाढ़ आती है। बाढ़ की विभीषिका से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू करा दिया है। बाढ़ खंड के इंजीनियर बांध को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। कटान की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील स्थल गांव बसौलिया के पास गंगा-महावा बांध के नजदीक ठोकरों का निर्माण कराया जा रहा है। जगह-जगह क्षतिग्रस्त बांध पर अभी मिट्टी का कार्य नहीं कराया जा रहा है।
पहाड़ों पर भारी बारिश शुरू होते ही गंगा नदी में उफान आ जाता है। तहसील क्षेत्र के तटवर्ती गांवों प्रतिवर्ष गंगा में आने वाली बाढ़ कहर बरपाती है। पिछले दो-तीन वर्षों में बाढ़ का प्रकोप बहुत अधिक तो नहीं रहा लेकिन कटान के रूप में गंगा ने जमकर तबाही मचाई। जलस्तर घटने बढ़ने की सूरत में पैनी हुई धाराओं ने हजारों बीघा कृषि भूमि काट दी। यहां तक कि कटान करती गंगा की लहरें गांव बसौलिया के पास गंगा महावा बांध के 50 मीटर पास तक आ पहुंची थीं। बाढ़ खंड ने प्रयास कर लहरों को बांध तक पहुंचने से रोक लिया था। बाढ़ खंड इस बार बाढ़ आने से पूर्व ही इस स्थान पर दो ठोकरों का निर्माण करा रहा है। करीब साढ़े पांच करोड़ रुपए की लागत से बन रही इन ठोकरों के बनने से बांध के इस स्थान से खतरे की आशंका टल जाएगी। हालांकि गत वर्ष बारिश से जगह-जगह आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त बांध पर मिट्टी कार्य अभी नहीं कराया जा रहा है। जेई रामअवतार आर्य ने बताया कि बसौलिया के पास दो ठोकरों का निर्माण कराया जा रहा है। मिट्टी कार्य कराए जाने का अभी आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। बारिश से पूर्व सभी बचाव कार्य पूर्ण करा लिए जाएंगे।
उसहैत क्षेत्र के गांव सबसे अधिक संवेदनशील
पिछले वर्षों में बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही उसहैत क्षेत्र के गांवों में मचती रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आधा दर्जन गांव बांध के अंदर बसे हुए हैं। जटा, प्रेमी नगला, कमलैया नगला जैसे गांव हर साल बाढ़ आने पर टापू बन जाते हैं। बाढ़ खंड के अधिकारी यहां भी क्षतिग्रस्त हुए बांध और ठोकरों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। डीएम दीपा रंजन का दावा है कि बाढ़ आने से पहले बचाव की तैयारी पूरी कर ली जाएगी। गंगा किनारे के पीएचसी, सीएचसी और पशु अस्पतालों में उपचार के पर्याप्त संसाधन जुटाने के भी अदेश दिए गए हैं।