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बदायूं में आओ रोपें अच्छे पौधे, इन्हीं होगा हमारा कल

कोरोना काल में औषधीय और आक्सीजन देने वाले पौधों का महत्व सभी समझ चुके हैं। इसलिए पौधारोपण में फल-फूल वाले पौधों के साथ अधिक से अधिक औषधीय व आक्सीजन देने वाले पौधे भी रोपने चाहिए। इससे पर्यावरण संरक्षण हो सके।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 12:30 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 12:30 AM (IST)
बदायूं में आओ रोपें अच्छे पौधे, इन्हीं होगा हमारा कल
बदायूं में आओ रोपें अच्छे पौधे, इन्हीं होगा हमारा कल

बदायूं, जेएनएन : कोरोना काल में औषधीय और आक्सीजन देने वाले पौधों का महत्व सभी समझ चुके हैं। इसलिए पौधारोपण में फल-फूल वाले पौधों के साथ अधिक से अधिक औषधीय व आक्सीजन देने वाले पौधे भी रोपने चाहिए। इससे पर्यावरण संरक्षण हो सके। इसके साथ ही जरूरत के समय पर यह पौधे लाभदायक साबित हो।

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फोटो 19 बीडीएन 7

बीते पांच वर्षों में पांच हजार से अधिक पौधे रोपने के साथ-साथ पर्यावरण जागरूकता के लिए भी कार्य किया है। यह प्रयास आज भी अनवरत जारी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्कूल, पार्क, सार्वजनिक स्थानों, मंदिरों में अभियान चलाकर पौधारोपण किया। हमारा लक्ष्य 21 हजार पौधे लगाना है। पीपल व बरगद का पौधा आक्सीजन देता है। कोरोना काल में लोगों को इनकी अहमियत पता चल चुकी है।

मोहित शर्मा ,जिलाध्यक्ष ,अरिहंत पौधारोपण समिति फोटो 19 बीडीएन 8

पर्यावरण संरक्षण को पिछले कई वर्षों से जुड़े है। अपने घर पर ही बागवानी की है। इसमें कई किस्म के पौधों को लगाकर प्राकृतिक वातावरण में शुद्ध आक्सीजन ले रहे है। लोगों को चाहिए की कम से कम अपने जीवन में पांच पौधे बरगद, पीपल, आम, नीम, तुल्सी के अवश्य लगाएं। यह आक्सीजन उत्सर्जन वाले पौधे है। लोगों को अपने बच्चों के जीवन को सुरक्षित भविष्य व ग्लोबल वार्मिंग से बचाव को पौधे लगाने चाहिए।

सचिन असवा, पर्यावरण प्रेमी फोटो 19 बीडीएन 14

पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को आगे आना चाहिए। घर पर कुछ भूमि पर पिछले 20 वर्षो से औषधीय पौधों का रोपण कर प्राकृतिक चिकित्सा से लोगों को कई रोगों से बचाया है। कोरोना काल में अनेक प्रकार के काढ़ों में औषधीय पौधे का प्रयोग हुआ। इससे लोग निरोगी रहे। फलदार पौधों में जामुन, अनार, संतरा एवं छायादर पौधों में अशोक, बरगद, पीपल, नीम एवं औषधीय पौधों हरसिगार, तुल्सी आदि के पौधे अधिक रोपने चाहिए

डा. प्रवीन कुमार शर्मा, पर्यावरण प्रेमी


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