उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष के भवन पर चला बुलडोजर
जेएनएन, बदायूं : शहर में एएसएसपी के आवास के निकट गुरुवार को नगर मजिस्ट्रेट अमित कुमार ने उद्योग व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धींगड़ा के भवन पर बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त करा दिया। आरोप है कि एक साथ जमीन खरीदकर बैनामा कराया गया, लेकिन प्रशासन को गुमराह कर भवन का नक्शा पास करा लिया गया। वीरेंद्र ने प्रशासन पर मानमाने तरीके से कार्रवाई किए जाने का आरोप लगाते हुए डीएम दीपा रंजन को भी अवगत कराया।
नगर मजिस्ट्रेट का पदोन्नति के साथ लखनऊ तबादला हो चुका है। गुरुवार की दोपहर पुलिस बल के साथ बुलडोजर लेकर विकास भवन गेट के पास पहुंचे। वीरेंद्र धींगड़ा के भवन पर बुलडोजर चलवाकर ध्वस्त करा दिया। कार्रवाई की जानकारी मिलते ही वीरेंद्र धींगड़ा पहुंच गए। व्यापारियों ने विरोध किया और कलक्ट्रेट पहुंचकर डीएम दीपा रंजन से भी शिकायत की। अपना पक्ष भी रखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कार्रवाई करने पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि उस जमीन का वीरेंद्र धींगड़ा और सुभाष बत्रा का एक ही बैनामा है। वीरेंद्र ने करीब 25 साल पहले शपथ पत्र देकर पूरी जमीन का नक्शा अपने नाम बनवा लिया। सुभाष बत्तरा ने इसका विरोध किया। इसकी फिर नियत प्राधिकारी के यहां अपील की गई, यहां खारिज होने पर डीएम के यहां की गई तो डीएम ने भी खारिज कर दी। फिर कमिश्नर के यहां दो बार अपील हुई वहां भी खारिज की गई। बाद में वह हाईकोर्ट चले गए थे, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। इसके बाद फिर फाइल नियत प्राधिकारी के पास पहुंची, जिसके बाद बिल्डिंग तोड़ने के आदेश किए गए। अचानक प्रशासन ने बिल्डिंग तोड़ी तो कई व्यापारी नेताओं ने इसका विरोध भी किया है। वीरेंद्र ने मनमानी तरीके से कार्रवाई का आरोप लगाते हुए बताया कि यह मामला अदालत में लंबित है। सिटी मजिस्ट्रेट ने एकतरफा कार्रवाई की है। कल उन्हें नोटिस मिला था जिसमें सात दिन का समय दिया गया था, लेकिन सिटी मजिस्ट्रेट मनमानी रवैया अपनाते हुए आज ही पहुंच गए और भवन को तुड़वा दिया। सिटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार ने बताया कि वीरेंद्र धीगड़ा ने गलत तरीके से नक्शा पास करा लिया था। जमीन का ज्वाइंट बैनामा है लेकिन, नक्शा अकेले अपने नाम पास करा लिया था। डीएम से लेकर कमिश्नर तक अपील की गई और हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया। इसके बाद ही भवन तोड़ा गया। वहीं, उद्योगा व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धींगड़ा ने कहा कि प्रशासन ने मनमानी तरीके से कार्रवाई की है। नोटिस के बाद सप्ताह भर का समय दिया था लेकिन प्रशासन ने एक दिन में ही कार्रवाई कर दी। जमीन का यह मामला अदालत में लंबित है। हाईकोर्ट ने जिला स्तर पर सुनवाई के लिए कहा है, लेकिन हमारा पक्ष सुना ही नहीं गया और न ही अभिलेख देखे गए। प्रशासन की यह एक पक्षीय कार्रवाई अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।