भाई ने कराया था मुकदमा, मुआवजा मांगने आई मां
शहर के मुहल्ला लोटनपुरा की लव जेहाद की शिकार नेहा की हत्या का मुकदमा उसके भाई आशीष ने उसके पति आसिफ उर्फ राजकुमार पर दर्ज कराया था। चूंकि नेहा अनुसूचित जाति की थी इसलिए उसके वारिस को शासन से अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में सहायता राशि मंजूर की गई है।
जेएनएन, बदायूं : शहर के मुहल्ला लोटनपुरा की लव जेहाद की शिकार नेहा की हत्या का मुकदमा उसके भाई आशीष ने उसके पति आसिफ उर्फ राजकुमार पर दर्ज कराया था। चूंकि नेहा अनुसूचित जाति की थी इसलिए उसके वारिस को शासन से अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में सहायता राशि मंजूर की गई है। इसकी पहली किस्त मुकदमे के वादी उसके भाई को मिलने ही वाली थी। इसी बीच बाहर रह रही उसकी मां ने भी यहां आकर दावा पेश कर दिया कि नेहा की परवरिश उसने की थी। ऐसे में मुआवजे की धनराशि उसको दी जाए। इससे अब मुआवजे की धनराशि पर पेच फंस गया है।
बीती 25 सितंबर की रात सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में मीरा सराय-शेखूपुर रोड पर नेहा को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। उसकी हत्या उससे प्रेम विवाह करने वाले आसिफ उर्फ राजकुमार ने योजनाबद्ध तरीके से की। फिर उसने घटना में खुद को बचाते हुए नेहा के भाइयों को फंसाने का ड्रामा किया। लेकिन, पुलिस की सख्ती से उसने सच कुबूल किया। इसमें में शामिल एक और आरोपित बबलू को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मृतका के भाई ने पुलिस को बताया कि उसके पिता की मृत्यु के बाद उसकी मां तीन बहन और भाइयों को लेकर अपने मायके बरेली चली गई। नेहा व उसकी परवरिश उसके ताऊ ने की थी। फिर जब वह मजदूरी करने लगा, तो उसने नेहा को पढ़ाया। वह उसको अफसर बनाना चाहता था। मगर, आसिफ ने राजकुमार बनकर उसको अपने जाल में फंसा लिया। मृतका के भाई ने ही इस मामले में आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया तो पुलिस ने अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में मिलने वाली मुआवजा की धनराशि मुकदमे के वादी मृतका के भाई को दिलवाने की तैयारी की। इसी दौरान नेहा की मां ने पत्राचार शुरू कहा कि उसने ही नेहा की देखभाल की, इसलिए वह मुआवजे की हकदार है। यह मामला एसपी देहात सिद्धार्थ वर्मा के सामने पहुंचा तो उन्होंने तहसील प्रशासन को जांच के लिए लिखा है। अब तहसील प्रशासन ही तय करेगा की नेहा का वारिस कौन है।
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नेहा की हत्या के मामले में उसके भाई आशीष ने मुकदमा दर्ज कराया था। उसको अनुसूचित जाति, जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में मुआवजा की धनराशि दी जानी थी। ऐसे में उसकी मां की ओर से भी शिकायती पत्र दिया है कि वह उसकी वारिस है। मामले की जांच तहसील प्रशासन को भेजी है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही तय होगा कि धनराशि किसको दी जाए।
- सिद्धार्थ वर्मा, एसपी देहात