पत्थर की घिसाई कर परिवार की रोजी-रोटी चला रहे थे दोनों भाई
ऐपुरा गांव के रहने वाले रामकिशोर को इस बात का आभास नहीं था कि बुढ़ापे में उन्हें अपने जवान बेटों की अर्थी को कांधा देना पड़ेगा। उनके पांच बेटे सिपट्टर बालिस्टर मुकेश नीटू और नेकपाल में जो मेलजोल था वह गांव के आसपास तक एकता की मिसाल थी।
संवाद सहयोगी, बिसौली : ऐपुरा गांव के रहने वाले रामकिशोर को इस बात का आभास नहीं था कि बुढ़ापे में उन्हें अपने जवान बेटों की अर्थी को कांधा देना पड़ेगा। उनके पांच बेटे सिपट्टर, बालिस्टर, मुकेश, नीटू और नेकपाल में जो मेलजोल था, वह गांव के आसपास तक एकता की मिसाल थी। वजह थी कि पांचों भाई जब भी अपने-अपने काम पर जाते तो एक दूसरे को बताकर ही जाते थे। तीन भाई सिपट्टर, बालिस्टर, मुकेश खेतीबाड़ी का काम देखते थे तो नेकपाल और नीटू घरों में पत्थर घिसाई की मशीन चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। सोमवार को नेकपाल और नीटू दोनों भाई जब दवाई लेने गए तो शाम को घर में खाना बनाने के बाद परिवार वाले सभी इंतजार कर रहे थे। किसी को नहीं पता था कि ऐसी सूचना आएगी जो पूरे परिवार का ही साहस तोड़ देगी। जिदगी भर को वह जख्म मिलेगा जो कोई भी नहीं भर पाएगा। खाने पर इंतजार कर रहे परिवार के अन्य सदस्यों ने जब नेकपाल को फोन किया तो उसने कहा कि टीटू उसके साथ ही है वह दोनों कुछ ही देर में घर पहुंच जाएंगे, लेकिन उनको कहां पता था कि रास्ते में मौत उनका इंतजार कर रही है। कालरूपी गन्ना लदी ट्राली ने नीटू और नेकपाल दोनों की जिदगी खत्म कर दी। मौके पर पहुंचे मृतकों के परिजन बेसुध थे तो ग्रामीणों ने बताया कि दोनों ही भाई बहुत नेक और सरल स्वभाव के थे। उनका गांव में किसी से कोई विवाद नहीं था। मेहनत के दम पर ही उन्होंने काफी कुछ हासिल भी किया। कुड ही देर में सीएचसी पहुंची नीटू की पत्नी सीमा अपने सुहाग की लाश देखकर बेहोश हो गई तो नेकपाल की पत्नी का भी रो-रोकर बुरा हाल था। नीटू पर तीन बेटे हैं तो नेकपाल के एक बच्चा है। हंसते खेलते परिवार को वह पल भर में छोड़कर चले गए इस बात को उनके परिजन कह रहे थे।