एलटी के लोकेटर से तलाशे जा रहे 33 केवी के फाल्ट
जेएनएन बदायूं शहर में बिछाई गई अंडरग्राउंड बिजली केबल भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को जंजाल साबित हो रही है। बिछाई गई केबल में बरसात की वजह से माइनर फाल्ट होने शुरू हो गए है। जिसे तलाशने में बिजली कर्मियों के पसीने छूट रहे है। वजह यह है कि बिजली विभाग के पास तकनीकी और संसाधनों का अभाव है।
जेएनएन, बदायूं : शहर में बिछाई गई अंडरग्राउंड बिजली केबल भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को जंजाल साबित हो रही है। बिछाई गई केबल में बरसात की वजह से माइनर फाल्ट होने शुरू हो गए है। जिसे तलाशने में बिजली कर्मियों के पसीने छूट रहे है। वजह यह है कि बिजली विभाग के पास तकनीकी और संसाधनों का अभाव है। फाल्ट को तलाशने के लिए उपकरण के साथ ही वर्किंग एजेंसी नहीं है। इस कारण जेई और लाइनमैनों के सहारे ही फाल्ट तलाशने का कार्य किया जा रहा है। विभाग के पास एलटी लाइन का एक फाल्ट लोकेटर है। जबकि एचटी लाइन का फाल्ट लोकेटर उपलब्ध ही नहीं है। इस वजह से फाल्ट न मिलने पर बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है। इसके अलावा केबल बाक्स भी जमीन से सटे हुए लगे हैं। हल्की बरसात या जलभराव से केबल में अर्थिंग के साथ ही कभी-कभी तेज करंट प्रवाह हो जाता है। यह सभी कारण बेक्रडाउन की मुख्य वजह बन रहे है।
संसाधन के अभाव में फाल्ट खोजना मुसीबत
अंडर ग्राउंड केबल में जब फाल्ट हो जाता है तो उसे नेक्ड विजुअल आई यानि बिजली कर्मचारी स्वयं के आंखों की क्षमता (अनुभव) से पहचान कर उसे तलाश लेते है लेकिन जब माइनर फाल्ट या ज्यादा दूरी पर फाल्ट पर होता है तो उसे तलाशने के लिए फाल्ट लोकेटर और प्री फाल्ट लोकेटर जैसे उपकरणों की जरूरत पड़ती है। इसके साथ ही तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। लेकिन बिजली विभाग के पास सरकारी सिस्टम के तहत ऐसे कोई संसाधन नहीं हैं। जिससे फाल्ट तलाशे जा सके है। ऐसे में लाइनमैन और बिजली कर्मचारियों को फाल्ट तलाशने में समय लग जाता है। अगर कोई फाल्ट 10 किलो मीटर एरिया के बीच में हुआ है तो उसके लिए पहले पेट्रोलिग करनी पड़ती है। जिससे बाद उसकी प्री-लोकेटर डिवाइस से लोकेशन तलाशनी पड़ती है। लोकेशन ट्रेस होने पर डिवाइस में स्पार्किंग (कंपन) होता है। इसके सहारे ही फाल्ट को तलाश लिया जाता है। इस बीच सबसे अहम बात यह है कि विभाग के पास एचटी लाइन के फाल्ट को तलाशने के लिए फाल्ट लोकेटर उपलब्ध नहीं है।
दस किलो मीटर में 33 केवी तो एक हजार किलो में एलटी अंडर ग्राउंड
वर्ष 2016 में तकरीबन दो सौ करोड़ रुपये की लागत से शहर में अंडरग्राउंड केबल बिछाने का काम शुरू हुआ था। शुरूआत से ही इसके मानकों को लेकर विवाद की स्थिति रही थी लेकिन निर्माणदायी संस्था ने किसी की न सुनते हुए अपने लाइन बिछा दी। शहर में करीब दस किलो मीटर में 33 केवी की लाइन अंडर ग्राउंड बिछाई गई है, जबकि एक हजार किलो मीटर से ज्यादा में एलटी लाइन बिछी हुई है। अधिकांश स्थानों पर अंडर ग्राउंड केबल से दिक्कत
शहर के कचहरी और पनबड़िया फीडर के इलाकों में बिछाई गई अंडर ग्राउंड केबल ज्यादा दिक्कत दे रही है। चोरी रोकने की मंशा से बिछाई गई अंडर ग्राउंड केबल भीषण गर्मी में जी का जंजाल तो बन रही है साथ ही बरसात में मौत को न्यौता का भी सबब बन जाती है। कई पशु इसकी चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके है। पनबड़िया और कचहरी फीडर में अगर फाल्ट से बिजली आपूर्ति ठप होती है तो तकरीबन 20 हजार उपभोक्ता प्रभावित होते है। वैसे तो शहर के अधिकांश इलाकों में अंडर ग्राउंड केबल पहुंच चुकी है। मगर कुछ इलाकों में अंडर ग्राउंड केबल से बहुत अधिक परेशानी है। शहर के आवास विकास, पनबड़िया, जालंधरी सराय, जवाहरपुरी, शिवपुरम आदि इलाकों में ज्यादा परेशानी है। क्योंकि वहां बरसात के समय में सड़कों पर जलभराव हो जाता है।
शहर में अंडर ग्राउंड बिछाई गई केबल में फाल्ट तलाशने के लिए विभाग के पास एचटी लाइन का फाल्ट लोकेटर नहीं है। इसके लिए पूर्व में उच्चाधिकारियों को पत्र लिखे जा चुके है। इस बार एचटी लाइन में हुए फाल्ट के बाद चीफ इंजीनियर ने फाल्ट लोकेटर को उपलब्ध कराने का अश्वासन दिया है। विभाग के पास एक एलटी लाइन का फाल्ट लोकेटर है। इस के सहारे फाल्ट तलाशने का कार्य किया जा रहा है। अब तक अनुभव के आधार पर ही फाल्ट तलाशे जा रहे थे।
दीपक कुमार, अधीक्षण अभियंता जब से शहर मे अंडर ग्राउंड केबल बिछाई गई है तब से बिजली की आंख मिचौली जारी है। बरसात के मौसम में बिजली की कटौती और ज्यादा बढ़ जाती है। इससे शहर के लोगों को कोई लाभ नहीं हुआ है।
ज्वाला प्रसाद, व्यापारी
पूर्व की सरकार में अंडर ग्राउंड केबल डालने के दौरान बड़ा घोटाला किया था। इसका नतीजा है आज शहर के लोगों को बिजली की व्यवस्था से रोना पड़ रहा है।अंडर ग्राउंड केबल जानवरों के लिए मौत का न्यौता दे रही है।
पुष्पेंद्र मिश्रा, उपभोक्ता