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निर्माणाधीन नेशनल हाईवे पर तीन घंटे का सफर छह घंटे में

हाईलाइटर-- सारनाथ से आजमगढ़ होते हुए लुंबिनी तक निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग-233 काशी प्रांत और

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 06:39 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 06:39 PM (IST)
निर्माणाधीन नेशनल हाईवे पर तीन घंटे का सफर छह घंटे में
निर्माणाधीन नेशनल हाईवे पर तीन घंटे का सफर छह घंटे में

हाईलाइटर--

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सारनाथ से आजमगढ़ होते हुए लुंबिनी तक निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग-233 काशी प्रांत और गोरक्ष प्रांत को जोड़ेना लेकिन इस महत्वपूर्व मार्ग की बदहाली की स्थिति जितनी भी बयां की जाए कम है। बूढ़नपुर से आंबेडकरनगर सीमा से सटे अतरौलिया तक संबंधित कार्यदायी संस्था की कंपनी ने कई माह पूर्व ही निर्माण पूरा करा दिया। यहां तक कि अतरौलिया में टोल नाका भी संचालित हो रहा है। इधर, कंजहित से बूढ़नपुर तक मार्ग निर्माण की गति बहुत ही खराब है। धूल की बात तो अलग, जगह-जगह निर्माण के लिए खोदी गई पुरानी सड़क किसी ताल-पोखरी का अहसास करा रही हैं। पानी भरे गड्ढे से जाते समय वाहन हिचकोले लेते हैं। तीन घंटे का सफर छह घंटे में भी पूरा हो जाए तो बेहतर समझिए। जब तक घर न पहुंच जाएं, परिवार के लोग और शुभचितक याद करते रहते हैं। हालत यह है कि एक पैच पूरा नहीं हुआ कि दूसरे पैच पर काम शुरू करा दिया जाता है।

जासं,बूढ़नपुर (आजमगढ़) : एनएच-233 के साथ ही फोरलेन मार्ग का निर्माण चल रहा है। कार्य की गति देखने में तेज चल है लेकिन कच्छप गति होना लोगों के लिए परेशानी का सबक बन रहा है। आजमगढ़ से लखनऊ जाने वाले मार्ग पर 24 घंटे यातायात बना रहता है। दिन में जाम के चलते यात्रियों को घंटों जलालत झेलनी पड़ती है। इस समस्या से तब निजात मिलेगी जब तक कार्य पूरा नहीं होता। तब तक इसी तरह की दु‌र्व्यवस्थाओं के बीच सफर तय करना पड़ेगा।

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बाएं की बजाए दाहिने चलना पड़ रहा

नेशनल हाईवे का निर्माण गायत्री प्रोजेक्ट संस्था द्वारा कराया जा रहा है। हालत यह है कि हो रहे कार्य में कुछ दूर तक मार्ग बनाने के बाद बीच में छोड़कर आगे बनाया जा रहा है। पूरे भाग के निर्माण का कार्य किया जाता तो यात्रियों को काफी सुगमता होती। रोड निर्माण के चलते सिग्नल की समस्याएं बनी हुई हैं। यात्री बाएं की बजाय दाहिनी तरफ से चलने को मजबूर हैं।

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छोड़ी गई सड़क खतरे को दे रही दावत

निर्माणाधीन मार्ग पर डिवाइडर के लिए छोड़ी गई खाली जगह खतरे को दावत दे रही है। वाहन चालक की थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। ओवरब्रिज आधे-अधूरे पड़े हैं जिसके निर्माण के चलते जाम की समस्या बनी रहती है। जब तक निर्माण कार्य पूरा नही हो जाता तब तक सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा सकते हैं। रोड के निर्माण में लगीं मशीनें दिन-रात गरज रही हैं।

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लोगों की परेशानी, उन्हीं की जुबानी

फोटो--04-सी.।

''निर्माण कार्य पूरा न होने से उड़ रही धूल लोगों को रोगी बना रही है। जो सांस के मरीज हैं, उन्हें दिन प्रतिदिन भर्ती होते देखा जा रहा है।

--डा. शिवप्रसाद सिंह।

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फोटो--05--सी.।

''नेशनल हाईवे निर्माण के चलते घंटों जाम की समस्या बनी रहती है। इस बीच एंबुलेंस में जा रहे मरीजों के लिए भी काफी परेशानी झेलनी पड़ती है।

--संतोष सिंह।

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फोटो--06-सी.।

''निर्माण कार्य पूरा न होने से नाले का निर्माण नहीं हो सका है। बाजारवासियों के नाबदान का गंदा पानी रोड पर बह रहा है जिससे प्रदूषण फैल रहा है।

--अजय यादव।

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फोटो--07-सी.।

''निर्माण कार्य अगर तेजी से होता तो इस तरह की समस्या से निजात जल्द ही मिल जाती तथा हमें घंटों जाम के चलते परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।

--अरविद सिंह।

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फोटो--08-सी.।

''मार्ग निर्माणाधीन होने के चलते सिग्नल की समस्याएं बनी हुई हैं। यात्री अपने बाएं की बजाय दाहिनी तरफ से चलने को मजबूर हैं।

--विकास वर्मा।

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वर्जन--जिलाधिकारी

फोटो--09-सी.

''एनएच-233 और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण की जिम्मेदार यूपीडा के अधिकारियों को समय से कार्य पूरा करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। यह भी निर्देश दिया गया है कि जाड़े में निर्माण से पूर्व पानी का छिड़काव करा लिया जाए, जिससे लोगों को धूल का सामना न करना पड़े, क्योंकि जाड़े में धूल का गुबार ऊपर नहीं बल्कि कुछ देर में नीचे आ जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होगा।

--नागेंद्र प्रसाद सिंह, जिलाधिकारी, आजमगढ़।


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