आटा का 'मरहम', दाल व तेल निकाल रहे गृहस्थी का 'दम'
जागरण संवाददाता आजमगढ़ कोरोना के कहर से जूझ रहे लोगों को महंगाई ने भी मुश्किल मे
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : कोरोना के कहर से जूझ रहे लोगों को महंगाई ने भी मुश्किल में डाल दिया है। गृहिणियों के किचन के बजट पर आटा का स्थिर भाव मरहम लगा रहा तो दाल और तेल दम निकालने पर आमादा है। गरीब-मघ्यमवर्गीय परिवार की महिलाएं ज्यादा परेशान हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आखिर किचन के बजट को मैनेज करें तो भी कैसे। महंगाई के सुरसा की तरह मुंह बाए जाने के बावजूद सरकार, जनप्रतिनिधि, हुक्मरान सब खामोश हैं। महंगाई की चपेट में सबसे ज्यादा घरेलू उपयोग में आने वाले जिस हैं। कोरोना की दुश्वारियों के भाव कब आसमान पर जा पहुंचा इसका महिलाओं को भान ही नहीं हुआ। चने की दाल 70 रुपये था, जो अब 85 रुपये किलो बिक रहा है। सबसे ज्यादा मुश्किल तो सरसों के तेल से हो रहा है। सामान्य दिनों में 130 किलो रुपये किलो बिकने वाला सरसों का तेल 170 रुपये तो 110 रुपये किलो वाला रिफाइन आयल 160 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। अरहर की दाल ने भी आंखें तरेरी है, 90-100 रुपये के बजाए 110 किलो हो गया है। इसका उपयोग ज्यादा होने से लोगों को यह महंगाई ज्यादा खल रही है। किराना सामानों के व्यापारी सुमित अग्रवाल कहते हैं कि सरसों तेल को पौष्टिक और सस्ता करने को उसमें सोयाबीन और पॉम आयल मिलाया जाता था। दोनों ही जिस की आयात विदेशों से न हो पाने के कारण तेल की कीमत में उछाल आना लाजिमी है। संपूर्ण लॉकडाउन लगा तो बिगड़ेंगे हालात
आजमगढ़ : सरकार पहले ही कह चुकी है, कि जीवन भी बचाएंगे और जीविका भी चलाएंगे। ऐसे में लॉकडाउन लगने की आशंका शून्य के बराबर है। यह भी सच्चाई है कि लॉकडाउन लगा तो निश्चित तौर पर महंगाई की स्थिति और खराब होगी।घरेलू सामानों के उछाल को देख हर कोई परेशान है कि कहीं पिछली बार की तरह से आटा भी मुहाल न हो जाए।