मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के पात्र अब भी समाज में हैं जिदा
-141वीं जयंती -मेहनतकश व शोषित वर्ग को गहरी नींद से जगाने का काम किया -प्रतिरोध का स्वर
-141वीं जयंती :::
-मेहनतकश व शोषित वर्ग को गहरी नींद से जगाने का काम किया
-प्रतिरोध का स्वर व सामाजिक कठिनाइयों से टकराने की दी ताकत
जागरण संवाददाता, आजमगढ़: 140 वर्ष पहले 31 जुलाई 1880 को बनारस के लमही में जन्में मुंशी प्रेमचंद ने हिदी साहित्य की सच्चाई को धरातल पर उतार कर साम्राज्यवादी व उपनिवेशवाद के विरुद्ध राष्ट्रवादी प्रगतिशील साहित्य का विकास किया। मुंशी प्रेमचंद की 141वीं जयंती पर शनिवार को डीएवी के समीप गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ के नेता इंद्रासन सिंह ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं के पात्र आज भी समाज में कहीं न कहीं जिदा हैं और अपने हक की आवाज उठाते रहे हैं।
डा. रवींद्र नाथ राय ने कहाकि मुंशी प्रेमचंद ने देश व समाज के मजदूर, किसान, छात्र, महिला और देश के सभी मेहनतकशों व शोषित वर्ग को गहरी नींद से जगाने का काम किया। उन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से प्रतिरोध का स्वर और सामाजिक कठिनाइयों से टकराने की ताकत दी। कामरेड दुखहरन ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने कमजोर वर्ग के ज्वलंत मुद्दों को जोड़ते हुए साहित्य का सृजन किया। आज वह साहित्यिक आंदोलन कमजोर नहीं पड़ना चाहिए। शिक्षक नेता ध्रुवमित्र शास्त्री प्रेमचंद ने साहित्य को प्रासंगिक बताते हुए उन्हें सम्मानपूर्वक याद किया। छात्र संगठन के विद्यार्थी राहुल ने कहा कि प्रेमचंद के विचार आज भी जिदा है। अध्यक्षता ध्रुवमित्र शास्त्री और संचालन रवींद्र नाथ राय ने किया। अंबिका पटेल, अनिल प्रजापति, राकेश यादव, उमेश, मृत्युंजय पटेल, अनिल, अशरफ आजमी आदि थे।