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जनाक्रोश देख सहमे कश्मीरी, नहीं आए कारोबार करने

आजमगढ़ जम्मू कश्मीर के पुलवामा में पिछले दिनों आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के बाद दो दशक से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के माध्यम से व्यापार कर लाखों का कारोबार करने वाले कश्मीरी सहमे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 06:23 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 11:43 PM (IST)
जनाक्रोश देख सहमे कश्मीरी, नहीं आए कारोबार करने
जनाक्रोश देख सहमे कश्मीरी, नहीं आए कारोबार करने

आजमगढ़ : जनआक्रोश किसी का नहीं होता। पुलवामा में हुए आंतकी हमले में शहीद हुए जवानों के प्रति सहानुभूति सभी के दिल में है, लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने इसकी प्रतिक्रिया में कश्मीरियों को निशाने पर ले लिया। इलाहाबाद समेत अन्य शहरों में इनकी जब प्रदर्शनी लगी तो कुछ लोगों ने कश्मीरियों के साथ इस कदर गलत व्यवहार किया कि वे इस बार आजमगढ़ में आयोजित खादी प्रदर्शनी में आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। उनके द्वारा बुक किए गए 25 स्टाल खाली पड़े हैं। जिम्मेदार लोग उन्हें समझाने, मनाने व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम आदि का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन कश्मीरी कारोबारी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।

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आजमगढ़ के जजी मैदान में दो दिन से लगी खादी ग्रामोद्योग की प्रदर्शनी में उनके 25 स्टाल खाली पड़े हैं, जबकि पिछले नवंबर में एसकेपी मैदान व दिसंबर माह में मेहता पार्क में आयोजित प्रदर्शनी में इनकी अच्छी खासी भागीदारी रही थी। लाखों का कारोबार भी किया था। प्रदर्शनी का उद्घाटन बुधवार को हुआ। यहां के सारे स्टाल भर गए, लेकिन शाल, ड्राई फ्रूट्स व ऊनी कपड़ों के कश्मीरी व्यापारियों के स्टाल खाली पड़े हैं। इस संबंध में प्रदर्शनी के संचालक अखिलेश ¨सह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आतंकी घटना की वजह से कुछ कश्मीरी कारोबारियों के साथ बदसलूकी हुई है। उन्होंने कश्मीरी व्यापारियों से मोबाइल फोन से बात भी कराई तो इन लोगों ने कुछ यूं दर्द बयां किया। लखनऊ में रुके शब्बीर व रेयाज अहमद ने कहा कि बिहार, कोलकाता व इलाहाबाद में उनके साथियों के साथ दु‌र्व्यवहार हुआ है। इससे अब डर लग रहा है। सभी साथी सहमे हुए हैं। ''शहीद सैनिकों को मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। चाहे ¨हदू हो या मुसलमान सभी भाई हैं। हम ¨हदुस्तानी हैं। आतंकी घटना की ¨नदा करते हैं।''

-शाहिद, कश्मीरी व्यापारी। ''इंसान का जीवन अनमोल है। हम ¨हदुस्तान के विभिन्न हिस्से में कारोबार के लिए 11 माह रहते हैं। कश्मीर एक माह के लिए जाते हैं। हमारा भी परिवार है। आतंकी घटना का हम मिलकर ही मुकाबला कर सकते हैं।''

-मो. हेलाल, कश्मीरी व्यापारी। ''¨हदुस्तान हमारी आवाम है। शहीद सैनिकों के परिवार के प्रति सहानुभूति है। आतंकवादियों की कोई जाति व मजहब नहीं होता है। उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए।''

-अब्दुल्ला, कश्मीरी व्यापारी। ''जिला प्रशासन से बात की गई है। यहां इस तरह की कोई बात नहीं है। सभी कश्मीरी व्यापारियों से बात चल रही है। दो-चार दिन में वे अपना स्टाल लगा देंगे।''

-अखिलेश ¨सह, संचालक प्रदर्शनी। ''हर ¨हदुस्तानी को देश में सुरक्षित रहने का हक है। किसी भी ¨हदुस्तानी नागरिक की सुरक्षा करना प्रशासन का दायित्व है। किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।''

-शिवाकांत द्विवेदी, जिलाधिकारी।


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