सुरक्षित रफ्तार को सरकार के इनायत की दरकार
जागरण संवाददाता आजमगढ़ अफसरों ने फिर से शहर को रफ्तार देने के लिए फाइलें सरकार
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : अफसरों ने फिर से शहर को रफ्तार देने के लिए फाइलें सरकार पाले में डाल दी हैं। ऐसा कई सालों से होते आने के कारण फाइलों में कैद यातायात बेहतरी के प्रस्ताव आजादी को तड़प उठे हैं। इसकी जड़ में जनप्रतिनिधियों की जबरदस्त उपेक्षा भी है। ऐसा इसलिए भी कि ऊंचे राजनीतिक कद के लिए पूर्वांचल में आजमगढ़ की अलग पहचान है। यातायात विशेषज्ञ कहते भी हैं कि बढ़ती गाड़ियां, संकरी सड़कों के बीच सीमित संसाधनों ने इतनी बड़ी खाई पैदा कर दी कि शासन से अतिरिक्त बजट मिले बगैर 55 लाख की आबादी वाला जिला यातायात के ट्रैक पर रफ्तार नहीं भर सकता है।-
मांगा बहुत कुछ, मिले सिर्फ ढाई सौ मोबाइल बैरियर
इसे व्यवस्था की नाकामी ही कहेंगे। अधिकारियों ने जिले के लिए मांगा सिर्फ मैन पॉवर, इंटरसेप्टर और ट्रैफिक सिग्नल, लेकिन मिल नहीं सका। ऐसे में ढाई सौ मोबाइल बैरियर का ही बजट उपलब्ध हो सका। ऐसे में बेचारे बने यातायात पुलिसकर्मी निहत्थे ही सड़क पर भीड़ एवं गाड़ियों को हांकने में जुटे हैं।
आबादी में वाराणसी के मुकाबिल आजमगढ़
आजमगढ़ 55 लाख लोगों को अपनी सीमा में समटे वाराणसी के मुकाबिल है। राजनीतिक ²ष्टिकोण से भी देखें तो जिले की नुमाइंदगी दो सांसद व दस विधायक करते हैं। फिलहाल की बात करें तो दो एमएलसी भी आजमगढ़ से ही चुने गए हैं। इसके बावजूद संसाधनों में फिसड्डी होने से सवाल उठना लाजिमी है।
नए परिवहन भवन से बलवती हुईं संभावनाएं
परिवहन अधिकारियों के प्रयास से नए भवन की नींव पड़ गई है। उसके अस्तित्व में आने के साथ ही टेस्टिग ट्रैक की अपनी व्यवस्था होगी। विभिन्न तरह के संसाधनों को रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करनी होगी। सरकार से बजट जारी होने के बाद निर्माण कार्य तेज हो गया है। अभी उधार के टेस्टिग ट्रैक पर लाइसेंस के लिए परीक्षा देते हैं। सबकुछ ठीक रहा तो नए साल के अंत तक परिवहन विभाग का नया भवन अस्तित्व में आ जाएगा।
वर्जन
'यातायात व्यवस्था बेहतर करने के लिए सर्फुद्दीनपुर तिराहे पर विशेष सतर्कता बरती जाती है। शहर का एंट्री प्वाइंट ही मुश्किलों से भरा है। पुल की अपनी दुश्वारियां हैं। बड़े वाहनों के खराब होने पर जाम की आशंका बढ़ जाती है। ट्रकों के प्रेशर से चलने के कारण गाड़ियां बिगड़ जाने पर उन्हें एक कदम नहीं हिलाना मुश्किल होता है।'
सुधीर कुमार जायसवाल, एसपी ट्रैफिक। वर्जन
विभागीय प्रयास से ही नए भवन की सौगात मिली है। संसाधन न होने की दशा में हम जागरूकता को हथियार बना रहे हैं। स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों को जागरूक किया जा रहा है। बच्चे अगर जागरूक हुए तो उसका उसर उनके परिवारों पर भी पड़ेगा। सड़क सुरक्षा सप्ताह में हम जागरूकता अभियान पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।
-संतोष कुमार सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन।