घर में सौगातों की बरसात, पड़ोस को सिर्फ लॉलीपाप
वाराणसी से महज 100 व गाजीपुर से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर आजमगढ़। आबादी 45 लाख से ऊपर। रेलवे से प्रतिदिन लगभग पांच हजार से अधिक लोग दिल्ली समेत अन्य शहरों की यात्रा करते हैं लेकिन पिछले चार साल में इस शहर को कुछ भी खास नहीं मिला। वहीं गाजीपुर में सौगातों की बरसात जारी है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र होने के कारण वाराणसी की तो जय-जय है। राजनीति के गलियारे में इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा है। कुछ इसे सियासत में सउतियाडाह की नजर से देख रहे हैं तो कुछ का कहना है कि भाई, सभी अपना घर सजाते संवारते हैं। रेल राज्यमंत्री अपने घर को संवार रहे तो इसका फायदा वह स्वयं थोड़े ही लेंगे। इसका फायदा तो गाजीपुर जिले लगायत अन्य पड़ोसी जिले के लोग भी तो उठा रहे हैं। ऐसा सपा के शासनकाल में भी हुआ। बहरहाल, चर्चाएं तो सकरात्मक व नकरात्मक सूत्रों में यूं ही बंधते रहेंगे फिलहाल आजमगढ़ की जनता रेलवे के विकास न होने से निराश है।
गाजीपुर को मिला खास
-वातानुकूलित भंडारण गृह, पेरिशेबल कार्गो, स्टेशन का सुंदरीकरण
-जखनिया में वैगन टॉवर कारखाना, विद्युतीकरण व दोहरीकरण भी
-ताड़ी घाट-मऊ रेल रोड ब्रिज का निर्माण संग आधा दर्जन नई ट्रेनें निराशा आजमगढ़ के हाथ
-जनपद में पुराने काम भी अटके
-जमीन पर अब तक नहीं उतरा बैरक निर्माण
-वा¨शग पिट का आधा अधूरा निर्माण
-चार साल में एक भी नई ट्रेन नहीं
-दोहरीकरण व विद्युतीकरण कार्य भी अधूरा
-वाराणसी-आजमगढ़ व दोहरीघाट नई रेलवे लाइन का निर्माण को नहीं उठे कदम
विकास ओझा, आजमगढ़
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वाराणसी से 100 व गाजीपुर से महज 70 किलोमीटर की दूरी पर आजमगढ़। आबादी 45 लाख से अधिक। रेलवे से प्रतिदिन लगभग पांच हजार से अधिक लोग दिल्ली समेत अन्य शहरों की यात्रा करते हैं, लेकिन पिछले चार साल में इस शहर को कुछ भी खास नहीं मिला। वहीं गाजीपुर में सौगातों की बरसात जारी है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र होने के कारण वाराणसी की तो जय-जय है ही। राजनीति के गलियारे में इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कुछ इसे सियासत में सौतियाडाह की नजर से देख रहे हैं तो कुछ का कहना है कि भाई, अपना घर तो सभी सजाते-संवारते हैं। रेल राज्यमंत्री अपने घर को संवार रहे तो इसका फायदा वह स्वयं थोड़े ही लेंगे। इसका फायदा तो गाजीपुर जिले से लगायत अन्य पड़ोसी जिले के लोग भी तो उठा रहे हैं। ऐसा सपा के शासनकाल में भी हुआ। बहरहाल, चर्चाएं तो सकारात्मक व नकारात्मक सूत्रों में यूं ही बंधते रहेंगे फिलहाल आजमगढ़ की जनता रेलवे का विकास न होने से निराश है।
रेल राज्य मंत्री ने गाजीपुर में एक-दो नहीं, एक दर्जन से अधिक सौगाते दी हैं। इसमें मुख्य रूप से रेलवे का विद्युतीकरण, दोहरीकरण, ताड़ीघाट-मऊ रेल रोड ब्रिज, वातानुकूलित भंडारण गृह, पेरिशेबल कार्गो, स्टेशन का सुंदरीकरण, सैदपुर में लैजिस्टिक पार्क, जखनिया में वैगन टॉवर कारखाना आदि है। इसके अलावा गाजीपुर से बांद्रा के लिए ट्रेन, गाजीपुर से जौनपुर के लिए डीएमयू, गाजीपुर से कटरा वैष्णो देवी आदि के लिए ट्रेनें संचालित हो रही हैं। इस जिले को अभी बहुत कुछ मिलने की उम्मीद बाकी है। दूसरी तरफ आजमगढ़ को कुछ भी खास तो नहीं मिला, बल्कि कुछ उम्मीदें टूट भी गई। एक भी नई ट्रेन नहीं मिली। मशहूर शायर कैफी आजमी के गीत संग्रह कैफियात के नाम पर आजमगढ़ से फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी के आग्रह पर 28 सितंबर वर्ष 2003 में तत्कालीन रेल मंत्री नितिश कुमार ने कैफियात एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर संचालित किया था। यह ट्रेन आजमगढ़ से दिल्ली को जाती है। 15 दिसंबर 2014 को विशेष ट्रेन के तौर पर साप्ताहिक ट्रेन लोकमान्य तिलक दौड़ी थी। इसके बाद 10 जून 2014 को आजमगढ़ से कोलकाता के लिए नई ट्रेन चली थी। इसके बाद कोई ट्रेन इस जिले को नहीं मिली। इसके अलावा भाजपा के शासन काल में आरपीएफ के लिए बैरिक निर्माण को मंजूरी मिली, पर यह अभी जमीन पर नहीं उतर सका। वा¨शग पिट भी अभी अर्धनिर्मित ही पड़ा हुआ है। प्लेटफार्म नम्बर दो व तीन का निर्माण पिछले आठ साल से लंबित है। स्टेशन को सीसी कैमरे से आच्छादित करने व दिव्यांगों के लिए स्वचालित सीढ़ी के निर्माण का प्रस्ताव अभी फाइलों में ही लंबित है। दोहरीकरण व विद्युतीकरण का काम भी अधूरा है। इतना ही नहीं वाराणसी-आजमगढ़ होते हुए गोरखपुर को नई रेलवे लाइन निर्माण की दिशा में कोई कदम ही नहीं उठे। आजमगढ़ रेलवे स्टेशन को माडल का दर्जा जरूर दे दिया गया लेकिन अभी तक कोई खास व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं है यहां से वाराणसी, गाजीपुर व जौनपुर के लिए डायरेक्ट रेलवे लाइन तक नहीं है। फिलहाल कुछ आसार भी नहीं दिख रहे हैं।