अब पराली बनी किसानों की दुश्मन, बोआई में बाधा
जागरण संवाददाता मार्टीनगंज (आजमगढ़) पराली काश्तकारी में विलेन बनकर उभरी। छोटे से लेक
जागरण संवाददाता, मार्टीनगंज (आजमगढ़) : पराली काश्तकारी में विलेन बनकर उभरी। छोटे से लेकर बड़े किसान तक परेशान हैं। पराली के निस्तारण का कोई ठोस उपाय न होना सबसे बड़ी समस्या है। देश के प्रति जिम्मेदार व सख्त काननू के कारण पराली को जलाना उन्हें गंवारा नहीं हो रहा है। सरकार भी डंडे से हांकने के बजाए दूसरा विकल्प नहीं सोच रही है। इन दुश्वारियों के बीच गेहूं की बोआई बाधित होने की राह पर बढ़ चली है। पैदावार पर भी इसका जबरदस्त असर पड़ेगा।
मार्टिनगंज तहसील क्षेत्र में धान की कटाई हार्वेस्टर कंबाइन से करीब-करीब पूरी हो चुकी है। इसके बाद किसानों के सामने एक बड़ी समस्या धान की कटी पराली उभरी है। किसाना परेशान है कि गेहूं की बोआई का समय निकला जा रहा और पराली उनके खेतों में पड़ी है। सख्त कानून एवं देश के प्रति जिम्मेदारी उन्हें पराली जलाने भी नहीं दे रही। ऐसे में किसानों के समझ में नहीं आ रहा कि करें भी तो क्या? बहुतेरे किसान पराली को खेत से बाहर खाली स्थान पर रखकर गेहूं की बोआई कर रहे हैं। कुछ किसान पराली खेत के एक छोर पर इकट्ठा कर गेहूं की बोआई कर रहे हैं। ये उपाय तो ठीक मगर जेब ढीली करने वाले हैं। एक समस्या यह भी किसी अवांछनीय तत्व ने पुआल मे आग लगा दी तो केस किसान के खिलाफ ही लिखी जाएगी। किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर से कई बार जोताई करने के बाद भी खेत बोने लायक नहीं हो पा रहा है। जिन किसानों के पास ट्रैक्टर की व्यवस्था नहीं है उनके लिए प्रति बीघा करीब ?4000 जोताई में ही खर्च हो जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि हम सरकार के साथ हैं, लेकिन हमारी दुश्वारियों का निदान भी करना चाहिए।