Move to Jagran APP

विदेशों तक पहुंच रही नवीन के गुड़ की मिठास

जागरण संवाददाता मार्टीनगंज (आजमगढ़) दीदारगंज क्षेत्र के पकरौल व निवासी नवीन राय। नाम नवीन

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 06:29 PM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 06:29 PM (IST)
विदेशों तक पहुंच रही नवीन के गुड़ की मिठास
विदेशों तक पहुंच रही नवीन के गुड़ की मिठास

जागरण संवाददाता, मार्टीनगंज (आजमगढ़) : दीदारगंज क्षेत्र के पकरौल व निवासी नवीन राय। नाम नवीन तो नवीनता की तलाश भी उनका स्वभाव। पीजी की शिक्षा के बाद एक महाविद्यालय में अध्यापक हो गए। मैनेजमेंट का काम भी उन्हीं को सौंप दिया गया लेकिन संतुष्टि नहीं मिली। कारण कि कभी गन्ने की अच्छी खेती करने वाले परिवार ने घाटे के कारण खेती छोड़ दी थी।

loksabha election banner

छटपटाहट बनी रही उस दौर को याद कर जब उनके परिवार में गन्ने से खांड़सारी यानी तब शक्कर तैयार किया जाता था। उसके बाद तो नवीन ने नौकरी छोड़ पुश्तैनी पहचान को आगे बढ़ाने की सोची और गन्ने की खेती शुरू कर दी। आज हालत यह है कि उनके द्वारा तैयार गुड़ की मिठास विदेशों तक पहुंच रही है। हालांकि, वह विदेशों में गुड़ की आपूर्ति नहीं करते लेकिन विदेश रहने वाले क्षेत्र के लोग जब यहां से जाते हैं तो पैक कराकर जरूर ले जाते हैं।

नौकरी छोड़ने के बाद कुछ नया करने के लिए उन्होंने क्षेत्र के बीज भंडार के प्रभारी से बात की तो उन्होंने बताया कि आंबेडकर में कुछ इस तरह का बीज उपलब्ध है जिसके प्रयोग से 12 फीट लंबा गन्ना पैदा होता है। वहां से उन्होंने बीज मंगाया, साथ में यह भी तय किया कि रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करेंगे। 18 बीघा क्षेत्रफल में पूरी तरह से जैविक खेती कर गन्ना पैदा करने के बाद नवीन किसी मिल की तरफ नहीं देखते, बल्कि उससे गुड़ तैयार करते हैं जिसकी मांग इतनी कि आपूर्ति नहीं कर पाते। उससे भी अहम यह कि गुड़ तैयार करने में 15 से ज्यादा लोगों की मदद लेनी पड़ती है और बदले में उन्हें पगार देते हैं। यानी गन्ने की खेती से खुद के साथ 15 लोगों के जीवन में गुड़ की मिठास घुल रही है।

---------

मिल की दूरी ने बनाया किसान संग व्यापारी

-चीनी मील दूर होने के कारण गन्ने को मिल तक ले जाने में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता था, क्योंकि गांव जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूरी पर है। इसलिए नवीन ने गांव में ही गुड़ बनाने की ठानी। अब तक 100 क्विटल गुड़ और इतनी ही भेली की सप्लाई हो चुकी है। विदेशों से गांव आने वाले भी नवीन का गुड़ साथ ले जाते हैं। लाकडाउन के बाद गांव में जो प्रवासी मजदूर आकर काम के लिए भटक रहे थे उन्हें भी नवीन ने रोजगार दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.