नारद के तप से हिल उठा इंद्र का सिंहासन
जागरण संवाददाता माहुल (आजमगढ़) नगर के रामलीला मैदान में गुरुवार की रात्रि में ऐतिहा
जागरण संवाददाता, माहुल (आजमगढ़) : नगर के रामलीला मैदान में गुरुवार की रात्रि में ऐतिहासिक रामलीला का शुभारंभ किया गया। प्रथम दिन के लीला में यहां के कलाकारों ने नारद मोह का जीवंत मंचन किया गया। इससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। महर्षि नारद पृथ्वी लोक में तपस्या करने लगे। भगवान की भक्ति के प्रभाव से इंद्र देवता का सिंहासन डगमगाने लगा। इंद्र भयभीत हो गए और अपने दो दूतों से इस बात का पता लगाकर कामदेव को पृथ्वी लोक भेजा। कामदेव बल पूर्वक नारदजी के तप को भंग करना चाहे, लेकिन उनके अस्त्र-शस्त्र के सारे वार नारदजी के आगे बेकार हो गए। तब कामदेव नारदजी से क्षमा याचना करने लगे। तब महर्षि ने कामदेव से कहा कि मुझे इंद्र के सिंहासन या किसी राज-पाठ की चाह नहीं है। मेरी तपस्या सिर्फ भगवान की भक्ति है, उसी में मुझे आनंद है। पराजित कामदेव ने इंद्र के दरबार में पहुंच कर इसकी सूचना उन्हें दी, तब इंद्र भी उन्हें प्रणाम कर अपने संदेह का त्याग कर दिया। बाद में नारद जी ने कामदेव को पराजित करने की बात ब्रम्हा, विष्णु, महेश सारे देवताओं को बता दिया। रामलीला के किरदार रामबाबू गुप्ता, शशि सोनी आदि रहे। लीला देर रात तक चली। रामलीला समिति के अध्यक्ष हरिकेश गुप्ता ने बताया कि लगभग सवा सौ वर्षों से यहां की रामलीला अनवरत हर वर्ष होती चली आ रही। इस बार प्रशासन ने कई बंदिशें लगा रखी है। फिर भी विपरीत परिस्थिति होने के बावजूद रामलीला का मंचन किया जा रहा है।