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आधी आबादी को रास आए नेता, नहीं भाए अभिनेता

आजमगढ़ 17वीं लोकसभा के चुनाव में आजमगढ़ सदर संसदीय सीट कई मायने में पिछले चुनावों से अलग रही। एक तो नेता बनाम अभिनेता की लड़ाई थी दूसरे सपा और भाजपा का आमने-सामने मुकाबला था। पांच साल में मतदाताओं की संख्या बढ़ी तो वोटिग का फीसद भी बढ़ा। जबकि कांग्रेस व बसपा चुनावी मैदान में नहीं थी। सबसे खास बात यह रही कि पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष महिला मतदाता अव्वल रहीं। ऐसे में नतीजे बता रहे है कि सपा के गढ़ में शहर हो या गांव आधी आबादी की पसंद अभिनेता नहीं नेता रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 05:58 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 05:58 PM (IST)
आधी आबादी को रास आए नेता, नहीं भाए अभिनेता
आधी आबादी को रास आए नेता, नहीं भाए अभिनेता

अनिल मिश्र, आजमगढ़ : 17वीं लोकसभा के चुनाव में आजमगढ़ सदर संसदीय सीट कई मायने में पिछले चुनावों से अलग रही। एक तो नेता बनाम अभिनेता की लड़ाई थी, दूसरे सपा और भाजपा का आमने-सामने मुकाबला था। पांच साल में मतदाताओं की संख्या बढ़ी तो वोटिग का फीसद भी बढ़ा। जबकि कांग्रेस व बसपा चुनावी मैदान में नहीं थी। सबसे खास बात यह रही कि पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष महिला मतदाता अव्वल रहीं। ऐसे में नतीजे बता रहे है कि सपा के गढ़ में शहर हो या गांव आधी आबादी की पसंद अभिनेता नहीं नेता रहे।

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गठबंधन से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और भोजपुरी गीतों व फिल्मों के प्रति रुचि रखने वाले युवाओं के चहेते भोजपुरी सिने स्टार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' प्रत्याशी। पार्टी से टिकट घोषित होने के बाद सपा के गढ़ में खूब सियासी पारा चढ़ा। गठबंधन के कारण सपा-बसपा खेमा में पिछले चुनावी आंकड़े और विकास की बात पर शुरू से अंत तक जीत के प्रति आश्वस्त दिखे। यह अलग बात है कि रानी की सराय में गठबंधन की संयुक्त जनसभा के अलावा अखिलेश यादव कभी चुनावी प्रचार-प्रसार में नहीं आए। जबकि टिकट की घोषणा के बाद भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' का सुबह से मेंहनाजपुर से शुरू हुआ रोडशो देर रात शहर में पहुंचा। उसके बाद से लगातार भाजपा प्रत्याशी नुक्कड़ सभा और गांवों में घूमकर अपने पक्ष में फिजा बनाई। यहां तक कि पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दो बार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जनसभा करने आना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मोदी-योगी फैक्टर के साथ ही भाजपा के पक्ष में चल रही सुनामी के बाद चुनावी परिणाम में भाजपा का जनाधार फीसद ने शेयर मार्केट की तरह छलांग लगा दिया। लेकिन अहम बात यह रही कि विकास के मुद्दे पर पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष महिलाओं ने तपिश भरी गर्मी में जमकर मतदान किया। विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं के अधिक वोट पड़ने के बाद भी अभिनेता को बढ़त नहीं मिली बल्कि नेता यानी अखिलेश यादव ही आगे रहे। 33 चक्र की वोटों की गिनती में कभी 'निरहुआ' आगे नहीं निकल सके। हर चक्र में अखिलेश यादव आगे रहे।

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विस क्षेत्रवार महिला वोटरों का प्रतिशत

(विस क्षेत्र --पुरुष--महिला)

-344-गोपालपुर....53.37--62.38

-345-सगड़ी.....53.41--62.69

-346-मुबारकपुर...58.02--62.57

-347-आजमगढ़...56.57--60.27

-352-मेंहनगर....49.18--59.78

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