जागरण संवाददाता, फूलपुर (आजमगढ़) : सरकारी भूमि और संपत्ति से अतिक्रमण हटाने के लिए सरकार की ओर से तमाम प्रयास किए गए। इसके लिए पिछले दिनों टास्क फोर्स का गठन भी किया गया लेकिन उसका क्षेत्र में कोई असर नहीं दिखा। कहीं नाले तो कहीं पोखरों का अस्तित्व ही समाप्त होने की कगार पर है।
उदाहरण के तौर पर तहसील मुख्यालय से सटे सुदनीपुर ग्रामसभा के राजस्व गाव चकनूरी में तहसील मुख्यालय से सटे अगल-बगल के नालों का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया है। सरकारी अभिलेखों में पांच कड़ी-दस कड़ी के नाली-नाला हैं लेकिन मौके पर निशान तक नहीं है। इन्हीं नालों-नालियों से बरसात के दिनों में कई गांव का पानी कुंवर नदी में जाता था। इसी प्रकार ऊदपुर ग्रामसभा में लबे सड़क पोखरी है जिसे पाटकर कब्जा कर लिया गया है। कस्बा स्थित अचारी बाबा पोखरे के नाम से प्रसिद्ध पोखरा बाउंड्री बनाकर कब्जा कर लिया गया है। जित्तू लाल पोखरे के नाम से शंकर जी त्रिमुहानी का पोखरा समाप्त हो गया। साथ ही बाबा परमहंस मंदिर रामलीला मैदान के पीछे पोखरी पर धीरे-धीरे कब्जा किया जा रहा है।सुदनीपुर ग्राम सभा में छग्गन साव के नाम से पक्की सीढ़ी युक्त पोखरा भी समाप्ति की कगार पर है।
कैफी मार्ग के बगल में नाले की भूमि पर मिट्टी डालकर कब्जा किया जा रहा है पर तहसील से मात्र सौ मीटर दूर बैठे अधिकारियों के कानों तक प्रधान महेंद्र प्रसाद की आवाज नहीं पहुच सकी। लेखपाल मौके पर गए और मना भी किया पर लेखपाल की बात दब गई। तहसीलदार फूलपुर नवीन प्रसाद का कहना है कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। ऐसा कुछ है तो राजस्व निरीक्षक लेखपाल को भेजता हूं। सरकारी नाले पर हो रहे कब्जे को रुकवाकर कार्रवाई की जाएगी।
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