शौचालयों के ताले में बंद स्वच्छता अभियान
गांवों में सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर दिए। मंशा थी कि गांवों में स्वच्छता अभियान का सपना साकार होगा।
जागरण टीम, आजमगढ़ : गांवों में सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर दिए। मंशा थी कि गांवों में स्वच्छता अभियान का सपना साकार होगा। समय बीतने के साथ ग्रामीणों की उम्मीदें धूल-धूसरित होती जा रही है। शौचालयों में ताला बंद होने से स्वच्छता अभियान का नारा उसी में सिमट कर रह गया है। सरकार ने स्वयं सहायता समूहों को भी जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन उसके बावजूद जमीन पर बदलाव नजर नहीं आ पा रहा है।
बिद्राबाजार : मोहम्मदपुर ब्लाक की सबसे बड़ी ग्रामसभा रानीपुर रजमो में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण हो गया, लेकिन उसे चालू नहीं किया जा सका है। उसमें ताला लटक रहा है। अधिकतर गांवों की यही दशा है। इसके संचालन की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को देने के साथ नौ हजार रुपये मानदेय भी तय कर दिया गया है। एडीओ पंचायत मोहम्मदपुर मुन्नीलाल चौहान ने बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारी दयाराम पटेल को तत्काल इसे चालू करने और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है।
फूलपुर : चकनूरी ग्राम सभा में बने सामुदायिक शौचालय में ताला बंद रहता है। उसके उपयोग में नहीं लाए जाने से घास उग आई है। ग्रामीणों का कहना है कि समूह की सदस्य के मन में आया तो ताला खोल देती हैं, अन्यथा बंद ही रहता है। प्रभारी खंड विकास अधिकारी प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि सरकार स्वच्छ गांव बनाना चाहती है। इसमें क्षेत्रवासियों के सहयोग की आवश्कता है।
मेंहनगर ब्लाक के इनवल गांव में सामुदायिक शौचालय बनाने के साथ रंग-रोगन भी कर दिया गया। लेकिन उसमें ताला बंद होने से उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। गुलाब आजीविका समूह की माया कुमारी ने बताया कि शौचालय की देखरेख करने के लिए समूह की महिलाएं बारी-बारी से एक-एक माह काम करती हैं। समाजसेवी श्रवण कुमार यादव ने बताया कि तीन माह में सीट ध्वस्त हो गई। बीडीओ संतोष नरायण गुप्त ने बताया कि समूह में पैसा मरम्मत के लिए भेज दिया गया है। हम उसकी जांच कराएंगे।