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पीएम आवास योजना में भी गड़बड़झाला, 14 अपात्रों को मकान

आजमगढ़ प्रधानमंत्री आवास शहरी योजना के अंतर्गत योजना का लाभ उठाने में फर्जीवाड़ा का प्रकरण प्रकाश में आया है। परियोजना अधिकारी डूडा की आंतरिक जांच में 14 ऐसे अपात्र मिले हैं जिनके खिलाफ एफआइआर सहित अन्य कार्रवाई की तैयारी चल रही है। वित्तीय वर्ष 201

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:59 PM (IST)
पीएम आवास योजना में भी गड़बड़झाला, 14 अपात्रों को मकान
पीएम आवास योजना में भी गड़बड़झाला, 14 अपात्रों को मकान

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : प्रधानमंत्री आवास शहरी योजना के अंतर्गत योजना का लाभ उठाने में फर्जीवाड़ा का प्रकरण प्रकाश में आया है। परियोजना अधिकारी डूडा की आंतरिक जांच में 14 ऐसे अपात्र मिले हैं जिनके खिलाफ एफआइआर सहित अन्य कार्रवाई की तैयारी चल रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में योजना के क्रियान्वयन में अपात्रों की जारी की गई धनराशि की भी जांच की जा रही है। यदि धनराशि जारी करने की पुष्टि हो गई तो गोलमाल में शामिल संबंधित विभागीय कर्मचारी के खिलाफ भी कार्रवाई के साथ अपात्रों से भी जारी की गई धनराशि की रिकवरी की जाएगी। परियोजना अधिकारी डूडा अरविद कुमार पांडेय ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष के प्रधानमंत्री आवास शहरी योजना के आवेदकों की पत्रावलियों के अवलोकन के दौरान गलत स्वीकृति की आशंका हुई। इस योजना में प्रति लाभार्थी को आवास निर्माण के लिए किश्तों में कुल 2.50 लाख रुपये दिया जाना है। इस पर मुबारकपुर के मोहल्ला नेवादा से जुड़े ऐसे 14 लोगों की जांच की गई। इसमें महरुन्नेशा के पास पूर्व में दो मंजिला मकान दो स्थानों पर बना पाया गया। मु. असलम को क्रम संख्या 116 पर 2013-14 में इंदिरा आवास प्राप्त हुआ है। यही नहीं विदेश में भी रहते हैं तो जीओ टैग कैसे हो गया। मु. शहनवाज के पास दो मंजिला मकान, मु. अजहर के पास पूर्व में दो मंजिला मकान और 2015-16 में इंदिरा आवास भी आवंटित है। रोकय्या बानो एक मंजिला मकान, कमरूज्जमा की पत्नी के नाम आवास, मु. कैसर, शमीम, नूरजहां व अब्दुल्लाह को 2013-14 में इंदिरा आवास आवंटित है। जबकि गुलशन आरा के पति को भी 2013-14 में इंदिरा आवास, मु. रजा के पास पक्का दो मंजिला आवास, तौहीद को 2011-12 और एहसान अहमद को 2013-14 में इंदिरा आवास आवंटित है। एहसान अहमद के पास पक्का मकान भी है। इसकी संख्या और भी बढ़ सकती है। विभागीय लोगों की माने तो जांच गंभीरता से हुई तो सैकड़ों लोग इस सूची में शामिल हो जाएंगे। इतना ही नहीं कई कर्मचारियों व अधिकारियों भी इसकी चपेट में आएंगे।

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