बजरंगी का भी करीबी रहा अंकुर, मांगी थी 40 लाख की रंगदारी
जागरण संवाददाता आजमगढ़ मऊ के पूर्व ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की लखनऊ में हुई हत्या ने
जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : मऊ के पूर्व ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की लखनऊ में हुई हत्या ने जिले की पुलिस को परेशान करके रख दिया है। इसकी जड़ में राजधानी की पुलिस व क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आ रहे शूटर व पूर्व सांसद का नाम अहम है। दरअसल, अधिकांश चेहरे किसी न किसी रूप में आजमगढ़ से ही जुड़े हैं। आशंका है कि जरायम जगत में चिगारी जरूर उठ रही होगी, जो ज्वाला बनकर फिर किसी को जला सकती है। आशंकित गैंगवार पर अंकुश को पुलिस माफियाओं, सफेदपोशों की कुंडली खंगाली तो वर्ष 2007 में सिधारी थाना में दर्ज मुकदमे में आजमगढ़ के बिल्डर से पूर्वांचल के कुख्यात रहे मुन्ना बजरंगी के नाम पर 40 लाख रुपये की रंगदारी मांगने की फाइल मिली। इसमें नामजद अंकुर उसके साथी बंधन का नाम अजीत मर्डर में उछला है। ऐसे में पुलिस सभी बिदुओं पर काम कर रही, जिससे जरायम के तिलस्म को तोड़ सके। फिलहाल पुलिस की आशंकाएं इस ओर बढ़ रहीं कि पूर्वांचल के कई गैंग निजी दुश्मनी भुलाकर लखनऊ हत्याकांड की साजिश रच सकते हैं।
आजमगढ़ जिला अंतर्गत सगड़ी के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू हत्याकांड में गवाह रहे अजीत सिंह को बदमाशों ने छह जनवरी को मार डाला था। उसमें सूबे के कुख्यात व जेल में निरुद्ध आजमगढ़ निवासी ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू, तरवां के पूर्व प्रमुख अखंड प्रताप सिंह व वाराणसी निवासी व पिछले सप्ताह दिल्ली में गिरफ्तार शार्प शूटर गिरधारी विश्वकर्मा मुख्य आरोपित हैं। राजधानी पुलिस व क्राइम ब्रांच की जांच में आजमगढ़ के तरवां क्षेत्र प्रदीप कबुतरा के अलावा प्रिस, कौलेश्वर, अंकुर व बंधन संग एक पूर्व सांसद का भी सामने आया। प्रिस वारदात के बाद लाल डस्टर गाड़ी से हत्या के बाद शूटर को लेकर भागा था। प्रिस ने पूछताछ में आजमगढ़ के कौलेश्वर का नाम लिया। दोनों पर जौनपुर में पूर्व से ही 25-25 हजार रुपये का इनाम है। वहीं लखनऊ पुलिस ने भी अजीत मर्डर में तरवां अंतर्गत कबूतरा गांव के बंधन सिंह व सिधारी अंतर्गत सर्फुद्दीनपुर मोहल्ला के अंकुर सिंह के सिर पर 25-25 हजार का इनाम रखा है। बंधन सिंह के कुख्यात प्रदीप कबुतरा से जुड़े होने के क्लू मिले हैं। हालांकि, आजमगढ़ पुलिस सीधा कुछ नहीं कर रही, लेकिन अजीत हत्याकांड की जांच में सामने आ रहे तथ्यों को केंद्र बिदु बनाकर अपनी कार्रवाई जारी रखी है।
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वर्जन
अंकुर ने वर्ष 2007 में बिल्डर से मुन्ना बजरंगी के नाम पर 40 लाख रुपये मांगे थे। अंकुर के खिलाफ सिधारी व बंधन के खिलाफ भी तरवां थाने में तीन मुकदमे दर्ज हैं। हम माफियाओं, सफेदपोशों की जड़ें तलाश रहे हैं। शूटर्स व उनके सरगनाओं के खुद के गैंगवार के अलावा पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने से हालात बदलते रहते हैं। सफेदपोश अपने चेलों के शरणदाता बन जाते हैं, ऐसे में हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा जा सकता है।
सुधीर कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक।