आखिर कब टूटेंगी तंद्रा, बेलहिया में पहले भी पलट चुकी है नाव
नाव हादसा -ईश्वर हमेशा मददगार बने हादसे में अब तक कोई न हुआ हताहत -हादसे के बाद च
नाव हादसा
-ईश्वर हमेशा मददगार बने, हादसे में अब तक कोई न हुआ हताहत
-हादसे के बाद चीखते-चिल्लाते ग्रामीणों को सिर्फ मिलता है आश्वासन
जागरण संवाददाता, रौनापार (आजमगढ़) : आखिर कब टूटेगी तंद्रा। ग्रामीणों का सवाल लाख टके हैं। एक-दो नहीं करीब आधा दर्जन बार नाव सरयू नदी में पलट चुकी है। प्रत्येक हादसे के बाद ग्रामीण चीखते-चिल्लाते लेकिन उन्हें आश्वासन की घुट्टी पिलाकर सुला दिया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि ईश्वर हमारी मदद में खड़े रहे कि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। अब की भी साक्षात ईश्वर सहारा बनकर खड़े हो गए। ऐसा लगता है कि शासन, सरकार की तंद्रा अनहोनी की बाद ही टूटेगी।
20 सितंबर 2021 को जागवली का पूरा देवारा खास राजा में नाव पलट गई। नाविक सहित तीन लोग सवार थे। नाव पर रखा सामान डूब गया। संयोग रहा कि नाविकों ने तीनों लोगों को डूबने से बचा लिया। 2020 में चक्की हाजीपुर गांव में नाव पलट गई थी। उस समय नाव में आधा दर्जन लोग सवार थे। उस समय भी नावित भगवान बने और सबको सकुशल मौत के मुंह से बाहर निकाल लाए। वर्ष 2019 में नदी की कटान से पलायन कर रहे भीमली का पूरा के लोग गोला जा रहे थे। गोलाघाट पहुंचने के पहले ही नाव पलट गई। इसमें भी किसी की जान नहीं गई, लेकिन ग्रामीणों के सामान पानी में डूबकर नष्ट हो गए थे। 2017 में मसूरियापूर और 2 सितंबर 2020 में झंडी का पूरा में राशन ले जाते समय नाव पलट गई थी। इसमें कोई सवार नहीं था। नाविक तैरकर अपनी जान बचा पाया। 2012 में शाहडीह मे नाव पलट गई थी। हादसे में 13 वर्षीय लड़की की मौत हो गई थी। अराजी अजगरा के कई लोगों ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष नाव पलटने की घटना होती है। जिसका कारण नदी का तेज बहाव है। यहां पर नदी सकरी होने से उसका वेग बढ़ जाता है। भंवर में फंस कर अक्सर नाव पलट जाती हैं। पर्याप्त संख्या में नाव लगा दी जाय तो क्षमता से ज्यादा लोग नहीं बैठेंगे और दुर्घटनाओं बचा जा सकता है। जिम्मेदार हैं कि समस्या का समाधान चाहते ही नहीं हैं।
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इनसेट ..
24 धंटे में भूले हादसा, ओवरलोड गईं नावें
जागरण संवाददाता, रौनापार (आजमगढ़) : इसे कहते हैं अनदेखी ..। प्रशासन और जनता दोनो नाव पलटने की घटना से अनभिज्ञ दिखी। नावें रोज के वनस्तप ज्यादा ओवरलोड होकर गईं। दरअसल, बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी नदी पार कराने पहुंचे थे। जबकि सामान्य दिनों की भीड़ भी मौजूद रही। नावों पर भीड़ देख लोग कांप जा रहे थे। एक दिन पूर्व ही नाव पलटने की घटना को लोग कैसे भूल गए हैं।
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