आफलाइन फार्म जमा न होने से बढ़ी श्रमिकों की दिक्कतें
जागरण संवाददाता औरैया श्रम विभाग कार्यालय में अब केवल आनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाने से श्र
जागरण संवाददाता, औरैया : श्रम विभाग कार्यालय में अब केवल आनलाइन आवेदन स्वीकार किए जाने से श्रमिकों की परेशानियां बढ़ गई हैं। सैकड़ों शहरी व ग्रामीण मजदूर महिला व पुरुष पूरे दिन कार्यालय में रुककर बिना पंजीयन के ही वापस लौट जाते हैं। विभाग की कभी साइड की गति धीमी पड़ जाती है तो कभी सर्वर से परेशानी बढ़ जाती है।
अभी तक कार्यालय में आफलाइन व आनलाइन दोनों ही प्रकार से श्रमिकों के आवेदन पत्र स्वीकार किए जा रहे थे। लेकिन जनवरी में विभाग के निर्देश पर केवल आनलाइन पंजीयन कराए जा रहे हैं। ऐसे में पूरे दिन में 60-70 आवेदन ही फीड हो पाते हैं। जबकि आफलाइन व्यवस्था में 300-400 फार्म जमा करके बाद में फीड किए जाते थे। कंप्यूटर आपरेटरों का कहना है कि अभी तक फार्म जमाकर इनकी फीडिग का कार्य करते रहते थे। जिससे श्रमिकों को भी परेशानी नहीं होती थी। उन्हें बाद में कार्ड उपलब्ध करा दिए जाते थे। लेकिन श्रमिकों को आफलाइन व आनलाइन के बारे में समझाना मुश्किल होता है। जो भी आता है वह सबसे पहले अपना काम चाहता है। श्रम प्रवर्तन अधिकारी ज्ञानेश चंद्र दीक्षित ने कहा कि कार्यालय के अलावा सीएससी संचालक को भी कार्यालय में बैठाया गया जिससे सभी श्रमिकों के पंजीयन कराए जा सकें। क्या कहते हैं श्रमिक
पूनम देवी बताती हैं कि पिछले 15 दिन से वह कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। लेकिन उनका पंजीयन नहीं हो पा रहा है। पूरे दिन की मजदूरी का भी नुकसान होता है। दूसरे यह कार्य भी नहीं हो पा रहा है।
ब्रह्म कुमार कहते हैं कि पिछले एक सप्ताह में तीन दिन काम पर नहीं जा पाया। मजदूरी के अलावा कोई अन्य जीविका का साधन नहीं है। रोजाना की कमाई पर ही परिवार निर्भर है। पंजीयन के लिए जाते हैं तो लाइन में खड़े रहकर वापस लौट जाते हैं। कभी साइड तो कभी सर्वर व्यवस्था का रोना कर्मचारी सुनाते हैं।
पुष्पा गौतम कहती है कि अब उन्होंने कार्यालय जाना ही बंद कर दिया है। बच्चे पालन के लिए काम पर जाएं या रोज-रोज पंजीयन के लिए ही दौड़ती रहें। फार्म जमा कर आई हैं हो जाएगा तो ठीक, न हो जाए तो भी सही।
कुसुमलता भी कहती हैं कि उनके पति व वह स्वयं घरों में मजदूरी का कार्य करके परिवार का भरण पोषण बमुश्किल कर पाती हैं। रोजाना चक्कर काटने से खर्चा कहां से चलाएं। दैनिक काम पर ही निर्भर हैं। तीन बार वह कार्यालय गईं, लेकिन पंजीयन नहीं हो पाया है।