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जलस्तर कम, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

संवाद सहयोगी अजीतमल चौथी बार आई बाढ़ से लोगों के पुराने जख्म उभरने के साथ उनमें खौफ

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 11:29 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 06:18 AM (IST)
जलस्तर कम, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
जलस्तर कम, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

संवाद सहयोगी, अजीतमल: चौथी बार आई बाढ़ से लोगों के पुराने जख्म उभरने के साथ उनमें खौफ भर गया था। लेकिन तीसरे दिन जलस्तर कम होने से यमुना किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। हर कोई बाढ़ में गिरे अपने घर दुरुस्त करने में जुटा है।

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बाढ़ में खरीफ की फसल नष्ट हो जाने के बाद अब किसान रबी की फसल करने की चिता में हैं। अगर प्रशासन की मदद में लेटलतीफी हुई तो फिर संकट का सामना करना पड़ जाएगा। इधर दो दिन से नुकसान का आकलन भी रुका है। यमुना में चौथी बार पानी ने बढ़त बनाई तो ग्रामीणों की धड़कनें फिर बढ़ने लगी कि जैसे तैसे गृहस्थी ठीक कर पा रहे है। अब फिर से संकट के बादल खड़े हो गए हैं। अब तक चार बार जलस्तर के उतार चढ़ाव से लोगों के जेहन में त्रासदी का मंजर साफ दिखाई पड़ रहा है। फिलहाल प्रशासन की मदद महज खानापूर्ति ही रही है। अगर समाजसेवी व पड़ोसी गांव हाथ न बढ़ाते तो पीड़ितों के आगे रोटी तक का संकट खड़ा हो जाता। अभी भी कई घरों के चूल्हे दो टाइम नहीं जल पा रहे हैं। राजस्व विभाग की टीम भी हड़ताल के कारण आकलन नहीं कर सकी। दो दिन से फिर नुकसान का आकलन रुक गया है। इन हालातों में अभी बाढ़ पीड़ितों को कुछ दिन तक लोगों की मेहरबानी पर रहना पड़ेगा। खरीफ की बाजरा, तिल आदि की फसल बरबाद होने से उत्पादन के साथ लागत भी बाढ़ में डूब गई। रबी की फसल के लिये खाद, बीज, दबा और पानी के लिए भी अन्नदाताओं को शासन की ओर मदद की उम्मीद से देखना पड़ रहा है। एसडीएम रामजीवन का कहना है कि जल्द आकलन कर शासन को रिपोर्ट भेजकर मदद दिलाई जाएगी। बाढ़ पीड़ितों को कोई दिक्कत न हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।


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