सच्ची पूजा तो असली कर्म, इंसानियत से बड़ा दूजा नहीं धर्म
जागरण संवाददाता औरैया कर्म व फर्ज को बखूबी अंजाम देने में उनके कदम कभी भी नही लड़खड़ा
जागरण संवाददाता, औरैया: कर्म व फर्ज को बखूबी अंजाम देने में उनके कदम कभी भी नही लड़खड़ाए। कोरोना की पहली लहर में भी ड्यूटी करते वही सेवाभाव। दूसरी लहर में मरीजों की सेवा का जुनून। मां होने का फर्ज तो वे निभा ही रही हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वस्थ कर उन्हें घर भेजने का फर्ज भी बखूबी अंजाम दे रही हैं। जी हां, महामारी के समय यदि किसी की कर्तव्यपरायणता देखनी हो तो 50 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय के वैक्सीनेशन वार्ड में सेवारत एएनएम रूबी से मिलें। नागरिकों व मरीजों की सेवा करने में उनके चेहरे पर किसी प्रकार की थकान नजर नहीं आती। यही नहीं, कोविड की पहली लहर में उन्होंने एल-2 अस्पताल में मरीजों की दिन-रात देखरेख कर खूब वाहवाही लूटी थी। कर्म की पूजा से इंसानियत को जिंदा कर दिया था। यही सेवाभाव कोरोना की दूसरी लहर में उनमें देखने को मिल रही है।
एनएनएम रूबी ने वर्ष 2020 में कोरोना की पहली लहर में भी अपनी ड्यूटी का निर्वहन लगातार उस समय किया,जब उनके गर्भ में चार माह का मासूम पल रहा था। तब भी वह अपने चिकित्सीय कर्तव्य से नहीं डिगीं। सेवाभाव का ऐसा जुनून कि आज भी लोगों की जुबां से उनका सेवाभाव सुनने को मिलता है। कोरोना संक्रमण का दूसरा चरण जोकि बहुत प्रभावी है। ऐसे में भी वह 10 माह के बेटे को परिवार की गोद में छोड़कर रोजाना ड्यूटी को निभा रही हैं। जिला अस्पताल में वैक्सीन की डोज उनके हाथों से दी जा रही है। चाचा, दादी, ताऊ, दादा, बाबा कहकर अपने संबोधन से वह लोगों की दुलार भी पा रही हैं। उनके सरल व सादगी पूर्ण व्यवहार से यहां आने वाला हर नागरिक उत्साहित होकर अपने घर वापस लौटता है। रूबी का कहना है कि फर्ज पहले हैं। क्योंकि कर्म ही
सच्ची पूजा है। अभी तक वह पांच हजार नागरिकों को कोविड वैक्सीन लगा चुकी हैं।