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समय से मिल जाता उपचार तो बच जाती डॉक्टर की जान

संवादसूत्र अछल्दा सीएचसी अछल्दा में तैनात रहे डॉ. सुबोध ने बीते दिन कानपुर के जीएसवीएम मेडि

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:05 AM (IST)
समय से मिल जाता उपचार तो बच जाती डॉक्टर की जान
समय से मिल जाता उपचार तो बच जाती डॉक्टर की जान

संवादसूत्र, अछल्दा : सीएचसी अछल्दा में तैनात रहे डॉ. सुबोध ने बीते दिन कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया था। सीएचसी अधीक्षक डॉ. सिद्धार्थ वर्मा ने इसे मौत नहीं हत्या करार दिया है। उनका आरोप है कि समय रहते डॉ. सुबोध को इलाज मिल जाता तो उनकी जान बच जाती।

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अछल्दा में तैनात उरई के मोहल्ला बघोरा निवासी डॉ. सुबोध कुमार (38) किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। वह अपनी मां के द्वारा वर्ष 2011 में डोनेट की गई किडनी से विगत कई वर्षों से स्वस्थ थे। डॉ. सुबोध को गुरुवार शाम 23 जुलाई हालत बिगड़ने पर सीएमओ डॉ. अर्चना श्रीवास्तव को अवगत कराया गया, तो उन्होंने औरैया से अछल्दा एंबुलेंस भेजकर डॉक्टर व उनके साथियो को गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज कानपुर में भर्ती कराया था। यहां पर सुबोध ने देर रात दम तोड़ दिया। साथ में गए चिकित्सक कई अस्पतालों में भर्ती होने के लिए भटकते रहे, लेकिन बिना कोरोना जांच के कोई अस्पताल भर्ती करने को तैयार नहीं था।

वहीं डॉक्टर सुबोध जीएसवीएम मेडिकल कानपुर के पास आउट विद्यार्थी भी थे, फिर भी उन्हें समय से इलाज नहीं मिला। किडनी पीड़ित डॉक्टर को साथ में आए अछल्दा सीएचसी अधीचक डॉ. सिद्धार्थ वर्मा समेत स्टाफ के साथ पहुंचकर उनकी जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से डायलिसिस पर रखने के लिए तमाम बार निवेदन किया, लेकिन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इस बात पर अड़े रहे कि जब तक कोरोना की जांच होकर पोजिटिव रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इलाज नहीं किया जाएगा। जब तक डॉ. सुबोध की कोरोना जांच रिपोर्ट होकर आई, उसके पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। सीएचसी अधीक्षक डॉ. सिद्धार्थ वर्मा ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर डॉ. सुबोध की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मृतक डॉ. की पत्नी साधना दिल्ली में रहकर पढ़ाती हैं। उनके एक तीन महीने का पुत्र गोलू है। डॉक्टर ने अपने पुत्र का चेहरा भी नहीं देखा था।


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