सुहाग की दीर्घ आयु के साथ वट वृक्ष का संकल्प
जागरण संवाददाता औरैया ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता
जागरण संवाददाता, औरैया: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। हिदू धर्म में इस पर्व का खासा महत्व भी है। सुहागिनें सोलह श्रंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा कर अखंड सौभाग्य के साथ संतान प्राप्ति की दृष्टि से भी यह व्रत रखती हैं। गुरुवार को पूजन को लेकर एक दिन पूर्व सारी तैयारियां की गईं। इस बार कोविड के चलते ब्यूटी पार्लर तक न पहुंचकर घरों में ही सुहागिनों ने मेंहदी लगाई। उनका कहना है कि सुहाग की दीर्घ आयु के साथ ही उन्होंने एक पौधा बरगद का संकल्प लिया है।
भारतीय संस्कृति में दाम्पत्य जीवन का विशेष महत्व माना गया है। इस जीवन से जुड़े हुए समस्त त्योहार भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते हैं इसी श्रेणी में वट सावित्री व्रत जिसे वर अमावस के नाम से जाना जाता है अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है। सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए इस व्रत का विधान किया था और अंतत: उन्होंने यमराज को भी अपने पातिवृत्य के समक्ष झुकने पर विवश कर दिया। ऐसे में इस व्रत का प्रथम बार संकल्प लेना नवविवाहिता स्त्री के मन में एक अछ्वुत चेतना का संचार करता है। उसके मन में एक ओर नवीन उत्साह होता है तो दूसरी यह भय भी कि कहीं कोई त्रुटि न हो जाए। इसलिए वह पूर्वजों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए बड़ों से पूजन की विधि के बारे में जानकारी करती हैं। व्रत के दिन प्रात: काल से ही इसकी तैयारी में जुट जाती है। प्रथम बार पूजन से पूर्व वह नवविवाहिता अपने को पूर्ण श्रृंगार से सुसज्जित कर पूजा कर अखंड सौभाग्य की कामना करती है। उसकी इस संकल्पना में वट वृक्ष जिसे हम चिर जीवन का प्रतीक मानते हैं एक अवलंब बन जाता है।
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अमावस्या व्रत नारी शक्ति का सिबल है। हमें विभिन्न परिस्थितियों में संघर्ष का बल प्रदान करता है।
-गीता जादौन, गोविद नगर। स्त्रोत स्वयं (फोटो-52)
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यह एक संयोग ही है कि कोविड काल में ही शादी हुई। पहला व्रत भी इसी काल में पड़ रहा। एक पौध बरगद की लगाने का संकल्प लिया है।
-नम्रता बाजपेयी, ओम नगर। स्त्रोत स्वयं (फोटो-53)
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व्रत एक सशक्त संबल प्रदान करता है। कठिन परिस्थितियों में भी आशा का संचार करता है। बरगद केवल एक वृक्ष ही नहीं वरदान का भंडार है। इसे सहेजने का संकल्प लेकर व्रत पूर्ण करेंगी।
-रिकी राजपूत, ओम नगर। स्त्रोत स्वयं (फोटो-54)