मरीज ही जान सकता बीमारी का दर्द
जागरण संवाददाता, औरैया : भगवान करे लाइलाज और असहनीय दर्द वाली बीमारी किसी को न हो। ऐसी
जागरण संवाददाता, औरैया : भगवान करे लाइलाज और असहनीय दर्द वाली बीमारी किसी को न हो। ऐसी बीमारी में इंसान जीने से अधिक मरना पसंद करता है। कैंसर का दर्द अक्सर उस व्यक्ति के साथ साथ उसे भी होता है जो उसके साथ रहता है। ऐसे में बीमार व्यक्ति ही नहीं उस माहौल में रहने वाले लोग भी यही कहते हैं भगवान इससे अच्छा तो अब मौत आ जाए। ऐसी स्थिति में लोग इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं, लेकिन कानूनी पेचीदगी के चलते यह मिल पाना संभव नहीं होता था। लेकिन गुरुवार को आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने इच्छा मृत्यु मिलने की पेचीदगी में राहत दी है। इस निर्णय की शहर के चिकित्सकों ने भी सराहना की।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उन लोगों के लिए बिल्कुल ठीक है जो असहनीय पीढ़ा से गुजर रहे होंगे। आज के समय में कई ऐसी बीमारी हैं जिनका इलाज कराना भी लोगों के लिए संभव नहीं हो पाता। गरीब परिवार के लोगों को तो खासी कठिनाई होती है। सरकार कई योजनाओं के द्वारा लोगों को सुविधाएं तो दे रही हैं, लेकिन कोई किसी का दर्द नहीं बांट सकता। ऐसे में इच्छा मृत्यु दिये जाने का निर्णय उनके लिए सहायक सिद्ध होगा। - डा. शत्रुघन
परिवार में एक व्यक्ति यदि गंभीर बीमारी से ग्रसित होता है तो पूरा परिवार उससे प्रभावित हो जाता है। कैंसर जैसी बीमारी में जब दर्द उठता है तो पूरा परिवार परेशान हो जाता है। ऐसे में जब व्यक्ति इच्छा मृत्यु की मांग करता था तो उसके सामने कई कायदे कानून सामने आकर खड़े हो जाते थे। कोर्ट के निर्णय से ऐसे लोगों राहत मिलेगी। - डा. गिरिराज अग्रवाल