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तालाब में सहेजी बूंदें, धरा की कोख लबालब

संवाद सूत्र आटा (उरई) लोगों को पानी का मोल समझ आया तो अब विकासखंड कदौरा के कस्बा आट

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 11:26 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 11:26 PM (IST)
तालाब में सहेजी बूंदें, धरा की कोख लबालब
तालाब में सहेजी बूंदें, धरा की कोख लबालब

संवाद सूत्र, आटा (उरई) : लोगों को पानी का मोल समझ आया तो अब विकासखंड कदौरा के कस्बा आटा में बस स्टैंड के पास आटा अकोढ़ी मार्ग स्थित तालाब में एक-एक बूंद पानी सहेज रहे हैं। इसी का नतीजा है कि गांव में गर्मी में पानी का संकट नहीं है और धरा की कोख भी लबालब है।

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जलसंकट गांव, शहर नहीं बल्कि पूरे देश की समस्या है। पानी का संकट बढ़ा तो बुंदेलखंड के लोगों ने इसकी अहमियत समझी और पानी की एक-एक बूंद की हिफाजत कर रहे हैं। घरों से निकला पानी हो या बारिश की बूंदें, तालाब में सुरक्षित हो रही हैं। आटा-अकोढ़ी मार्ग स्थित इस तालाब को पक्का तालाब भी कहते हैं। पहले ये तालाब जर्जर स्थिति में था लेकिन ग्राम पंचायत से तीन साल पहले उसका सुंदरीकरण कराया गया। उससे गांव के 15 हजार की आबादी को पानी की समस्या से काफी हद तक राहत मिली है। यहां सिंचाई के लिए पानी मिलने के साथ ही भूगर्भ जलस्तर भी सुरक्षित है।

अब तालाब के सुंदरीकरण के बाद गाव के परंपरागत कार्यक्रम भी यहां होते हैं। सावन में कस्बे के कुछ लोग वहां कलजिया भी विसर्जित करते हैं। इसी तालाब से लगा हुआ लाला हरदौल उपवन है और चारों ओर हरियाली सुखद अहसास कराती है। यहां रहने वाले कहते हैं कि ये अच्छी तरह समझ आ गया है कि पानी की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होनी चाहिए क्योंकि जल है तो कल है। तालाब में बतखें सुबह शाम तैरती हैं तो यहां आने में भी अच्छा लगता है। इसके साथ ही इस तालाब में पूरे साल भर पानी भरा रहता है जिससे आसपास के गांवों तक हैंडपंप नहीं सूखते और पानी का संकट नहीं होता है।


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