रावण बेच रहा बाल्टी और बाणासुर कंघा
अरविद पांडेय दिबियापुर कोरोना काल में रामलीला का आयोजन ही नहीं हुआ तो कलाकारों के
अरविद पांडेय, दिबियापुर : कोरोना काल में रामलीला का आयोजन ही नहीं हुआ तो कलाकारों के सामने संकट खड़ा है। दशहरा तक में रामलीला का कार्यक्रम नहीं हुआ है। रोजी रोटी चलाने को कलाकारों ने अन्य काम चुन लिए हैं। रावण का रोल करने वाले उदय तिवारी अब बाल्टी व मग बेंच रहे है, तो बाणासुर का रोल करने वाला कंघा पेन बेंच रहा है। बीते वर्ष जहां अक्टूबर माह में कलाकारों के पास फुर्सत नहीं होती थी, एक रात में कई मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन करते थे। वहीं इस बार उनकी कोई सुध लेने वाला भी नहीं है।
कभी अपने अभिनय से मंच को हिला देने वाले कस्बा के रावण व बाणासुर का किरदार अदा करने वाले इस समय दो जून की रोटियों के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। इस बार रामलीला का मंचन न हो पाने की वजह से रामलीला में दशानन का किरदार निभाने वाले व मंडलाधीश कंघी बेंच रहे हैं। साथ ही बाणासुर का पाठ करने वाले कलाकार गली-गली में गैस लाइटर व अन्य सामान बेंचते नजर आ रहे हैं। कलाकारों को इस बात का कष्ट नहीं है कि उनकी आमदनी न होने से उन्हें अन्य कार्य करना पड़ रहा है, उन्हें मलाल इस बात का है कि वह इस वर्ष रामलीला में अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पा रहे हैं। कस्बा में उदय तिवारी रावण व महेश बाणासुर का अभियन करते हैं, मंडलाधीश भी हैं। और रामलीला के आयोजन कराने के लिए लोग उन्हीं से संपर्क करके सभी कलाकारों का जिम्मा उन्हीं को दे देते हैं और वहीं मंच को तैयार करते हैं। मंडलाधीश की जिम्मेदारी होती है अगर कोई कलाकार किसी कारणवश वहां नहीं पहुंच पाता है, तो उन्हें उसी समय दूसरे कलाकार की व्यवस्था करनी होती है, जिससे रामलीला में कोई व्यवधान न पहुंचे। इस वर्ष रामलीला का आयोजन न होने की वजह से सभी कलाकारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।