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600 की जगह एक हजार रुपये क्विंटल लकड़ी, यमुना नदी में बहते शव

जागरण संवाददाता औरैया यमुना नदी में बहते शव को देख आसपास के ग्रामीणों में दहशत है। प्र

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 11:22 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 11:22 PM (IST)
600 की जगह एक हजार रुपये क्विंटल लकड़ी, यमुना नदी में बहते शव
600 की जगह एक हजार रुपये क्विंटल लकड़ी, यमुना नदी में बहते शव

जागरण संवाददाता, औरैया: यमुना नदी में बहते शव को देख आसपास के ग्रामीणों में दहशत है। प्रशासन का कहना है कि कोरोना से होने वाली मौत से जुड़ा कोई मामला इन शवों से नहीं। दूर-दराज से यह शव बहकर आते हैं। वहीं ग्रामीणों व घाट पर रहने वाले लोगों का कहना है कि हर दिन से चार से पांच शव उतारते मिलते हैं। उधर, कोविड में घाट पर अंतिम संस्कार महंगा हो गया है। छह सौ की जगह अब शव जलाने के लिए लकड़ियां एक हजार क्विंटल बिक रही हैं। हर दिन 25 से 30 क्विटल लकड़ी बिक रही है।

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कोविड काल में शवों का अंतिम संस्कार भी महंगा हो चला है। कोरोना संक्रमण के चलते यमुना घाट पर प्रतिदिन 30 से 40 लोगों के अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। सुबह से शाम तक अंतिम संस्कार करने वालों की लाइन लगी रहती है। बढ़ती भीड़ को देखते हुए जहां पहले लकड़ी की कीमत छह सौ रुपये प्रति क्विंटल थी, अब वह एक हजार रुपये तक पहुंच गई है। प्रतिदिन 25 से 30 क्विंटल लकड़ी बिक जाती हैं। कोरोना संक्रमण से रोजाना किसी न किसी की मौत हो रही है। जिस कारण लोग शव को अधजला छोड़कर चले जाते हैं और वह शव यमुना नदी में उतराते नजर आते हैं। गुरुवार को पड़ताल की तो, शेरगढ़ घाट पर दो चिताएं जलती मिली, जबकि एक महिला का शव नदी में उतरा रहा था। वहां मौजूद मछुआरों ने बताया कि प्रतिदिन तीन-चार शव नदी में उतराते मिलते हैं। खास बात यह है कि पुलिस भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। यहीं शव उतराते हुए किसी गांव के किनारे पहुंच जाते हैं और वहां पर भी असमंजस की स्थिति बनी रहती है। चिताएं आधी जलने के बाद लोग अपने घर चले जाते हैं। बाद में अधजले शवों को नदी में ही बहा दिया जाता है।

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यदि अधजले शव यमुना नदी में बहाये जा रहे हैं तो जांच कराई जाएगी। इसके लिए एक समिति गठित की गई है। इसमें पुलिस की टीम को भी शामिल किया जाएगा।

सुनील कुमार वर्मा, जिलाधिकारी


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