लैब में हो रही आधी अधूरी जांचें, भटक रहे मरीज
जागरण संवाददाता औरैया बुखार संक्रमण के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों में अव्यवस्था आड़े आ रही ह
जागरण संवाददाता, औरैया: बुखार संक्रमण के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों में अव्यवस्था आड़े आ रही हैं। चिकित्सकों की कमी, दवाओं का टोटा है। जांच के लिए भी मरीजों को निजी लैब का सहारा लेना पड़ता है। जहां पर पैसा खर्च करने के बाद भी समय से जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाती। जांच के अभाव में मरीजों को समय से उपचार भी नहीं मिल पाता है। कुछ जांचों के लिए गैर जनपदों में भी जाना पड़ता है।
50 शैया जिला अस्पताल में मलेरिया, विडाल, शुगर, टाइफाइड आदि जांच की सुविधा उपलब्ध है। लीवर फंक्शन टेस्ट की सभी जांच नहीं हो पा रही है। किडनी के 10 टेस्ट में से चार की सुविधा उपलब्ध है। हड्डियों, कोलेस्ट्राल की सभी जांच नहीं हो पाती है। इनके लिए अलग-अलग केमिकल की जरूरत पड़ती है। जिनकी आपूर्ति अस्पताल में नहीं। हार्ट की भी तीन जांच हो रही हैं। कार्ड के जरिए डेंगू की जांच कराई जाती है। एलाइजा टेस्ट के सैंपल कानपुर भेजे जा रहे हैं। 15 दिन पहले डिमांड भेजी गई थी। लेकिन आपूर्ति न होने पर एक सप्ताह पूर्व रिमाइंडर भेजा चुका है।
मोहल्ला ब्रह्मनगर निवासी प्रीति ने बताया कि टाइफाडड, शुगर व थायराइड की जांच लिखी गई। लेकिन थाइराइड के लिए कानपुर जाना होगा या किसी निजी लैब के माध्यम से सैंपल कानपुर भेजना पड़ेगा। सुमित नरायन निवासी ओमनगर भी बताते हैं कि मलेरिया, टाइफाइड की जांच तो हो गई, लेकिन थायराइड की जांच नहीं हो सकी। इसके लिए कानपुर या सैफई जाना पड़ेगा।
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लैब टेक्नीशियन अखिलेश कटियार ने बताया कि लखनऊ मीटिग में यह समस्या रखी थी। बताया भी था कि लगभग 20 मरीज रोजाना थायराइड जांच के लिए आते हैं। लेकिन, एक बार में 40 से 50 सैंपल होने चाहिए। तभी लैब को मशीन उपलब्ध कराई जाएगी। अगस्त माह में 25,583 मरीजों की जांचें कराई गईं। जबकि 24,563 जांचें अभी तक सितंबर माह में हुई हैं।
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निजी लैब में सीबीसी 200, शुगर 50, टाइफाइड 100, थायराइड 400, लिवर 600, किडनी 600, यूरिक एसिड 150, कोलेस्ट्रॉल 650 रुपये जांच के लिए मरीजों को खर्च करने पड़ते हैं।
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'थाइराइड की जांच के लिए लैब में मशीन उपलब्ध नहीं है। अन्य जांच के लिए रीजेंट की डिमांड 15 दिन पूर्व पीओसीटी को भेजी गई। रिमाइंडर भी एक सप्ताह पूर्व भेजा गया है। शीघ्र ही सभी जांचें अस्पताल में उपलब्ध होंगी। डेंगू के लिए कोई बजट अस्पताल को नहीं मिलता है।'
-डा. प्रमोद कटियार,मुख्य चिकित्सा अधीक्षक