अलविदा 2020: आधा साल बीत गया सन्नाटे में, बाजार रहा बंद
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जागरण संवाददाता, औरैया : इस साल को कोई भी भूल जाए यह बहुत मुशिक्ल है। साल जा रहा है लेकिन इस जीवन भर एक कहानी बना दी। आने वाली पीढ़ी बड़े ही उत्सुकता से इस कोरोना काल के किस्सों को सुना करेंगे। कोरोना काल आम जन मानस से लेकर व्यापारी वर्ग के लिए परेशानी भरा रहा है। करीब छह महीने तक व्यापार पूरी तरह से ठप रहा। चाहे सराफा बाजार हो या फिर फुटकर व्यापार सभी प्रभावित हुए हैं। इसमें करीब दस करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा रोडवेज डिपो को भी खासा नुकसान पहुंचा है। तीन माह तक 23 गाड़ियां खड़ी रहने से पांच करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। साथ ही शनिवार और रविवार के लॉकडाउन के दौरान 64 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इधर स्टेशन पर ट्रेने बंद हो गई और हर मिनट कोलाहाल में रहने वाले स्टेशन पर सन्नाटा खिच गया।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 23 मार्च को भारत बंद हुआ था। इसके बाद से लॉकडाउन लागू कर दिया गया है। साल बीतने जा रहा है, लेकिन लोग अभी भी इससे उभर नहीं पाए हैं। लॉकडाउन के दौरान व्यापार पूरी तरह चौपट हो गया था। कपड़ा, सराफा और किराना बाजार पर इसका खासा प्रभाव पड़ा। किराना बाजार के थोक विक्रेता अनमोल दीक्षित ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान छह माह तक दुकान बंद रही। जिला प्रशासन की ओर से उन्हें आम जनता तक सामान पहुंचाए जाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने बताया कि जहां पहले प्रतिदिन एक लाख रुपये तक का सामान बिकता था, उसकी जगह मात्र दस हजार रुपये का ही सामान बिका। सराफा व्यापारी लल्लू वर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया। करीब दस करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ है। जिला प्रशासन की ओर से जारी की गई गाइड लाइन के हिसाब से बाजार खुले, लेकिन ग्राहक घर से कम निकल रहे थे। अभी तक लॉकडाउन से वह उभर नहीं सके हैं। वहीं रोडवेज डिपों में 25 मार्च से 31 मई तक 23 बसें डिपो में खड़ी रही। तीन महीने तक बसें खड़ी रहने से करीब पांच करोड़ का नुकसान हुआ है। वहीं शनिवार व रविवार को लॉकडाउन होने के चलते करीब 64 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। 28 मार्च को 24 गाड़ियां दिल्ली बार्डर से प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए चलाई गईं थी। वहीं 14 अप्रैल कोटा से छात्रों को लाने के लिए करीब 15 बसें चलाई गईं थी। वर्ष 2020 कोरोना संक्रमण के चलते आम जनता के लिए दुखदायी साबित हुआ है।