ब्रह्मालीन हुए दंडी स्वामी संत गोविद
संवाद सूत्र दिबियापुर (औरैया) गोविद आश्रम के संस्थापक दंडी स्वामी 102 वर्षीय संत गोविद गुरुवार
संवाद सूत्र, दिबियापुर (औरैया) : गोविद आश्रम के संस्थापक दंडी स्वामी 102 वर्षीय संत गोविद गुरुवार को ब्रह्मलीन हो गए। कस्बे के रामगढ़ रोड स्थित आश्रम के लोग शोक में डूब गए। उनके पार्थिव शरीर को आश्रम में ही शुक्रवार को समाधि दी जाएगी।
ब्रह्मलीन संत श्री श्री 108 संत गोविद चार दिन से बीमार चल रहे थे। उनके शरीर त्यागने की खबर पर कस्बा के तमाम शिष्य आश्रम पहुंच गए। पुजारी कुलदीप शुक्ला ने बताया कि वह पास के ही ककराही गांव के थे। बचपन से ही वैराग्य होने पर उन्होंने घर छोड़ दिया था। बाद में दंड धारण कर आश्रम का निर्माण कराया। उनके लगाए गए पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना कराई गई जबकि आश्रम में भोले बाबा का मंदिर अलग से बना है। उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में लगा दिया। ज्ञान व वैराग्य के बिना व्यर्थ मानव जीवन
संवाद सूत्र, दिबियापुर : ग्राम भगत पुर्वा में आयोजित श्रीमछ्वागवत कथा में गुरुवार को आचार्य ने मानव जीवन के ज्ञान व वैराग्य के प्रसंगों का वर्णन किया। गांव व क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु भी भीड़ कथा स्थल पर रही।
वृंदावन धाम के आचार्य महेश मोहन ने भक्तों को बताया कि ज्ञान व वैराग्य के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर ज्ञान मार्ग जरूर ग्रहण करना चाहिए। जिस प्रकार संतान के बिना मां का मातृत्व पूर्ण नहीं होता है। उसी प्रकार ज्ञान व वैराग्य भक्ति के दो पुत्र हैं। इनके बिना जीवन में पूर्णता नहीं आती। कलियुग में प्रभु नाम का स्मरण ही आधार व भक्ति का सरल उपाय है। जिसके लिए भी मानव के पास समय नहीं है। हमें चाहिए कि भगवान की भक्ति से दूर न रहें। मानव शरीर नश्वर है, जिसे एक दिन नष्ट होना ही है। आयोजक इंदु प्रभाकर यादव ने बताया कि दोपहर 11 से शाम पांच बजे तक कथा के प्रसंगों का वर्णन किया जा रहा है। 10 फरवरी को पूर्णाहुति के बाद भंडारा का आयोजन होगा। इस दौरान परीक्षित बुद्धमती व लाल सिंह यादव, प्रबल प्रताप सिंह, वीरेंद्र सिंह, लाल सिंह राजपूत, मुकुट सिंह आदि मौजूद रहे।