तार बाबू व स्वजन पर टूटा गम का पहाड़
अर्पित अवस्थी औरैया शहर के दयालपुर निवासी तार बाबू व स्वजन पर दुखों का पहाड़ ही टूट पड़
अर्पित अवस्थी, औरैया : शहर के दयालपुर निवासी तार बाबू व स्वजन पर दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। पांच वर्ष पहले एक पुत्र व विगत दिनों एक पुत्री को खोने वाले तार बाबू अपने छोटे बेटे व बेटी की मौत के बाद जिंदा लाश बन चुके हैं। नाती-नातिन की मौत ने तो उन्हें अंदर से हिला दिया है।
पांच पुत्रियों व चार पुत्रों के अभागे पिता तार बाबू अपने को दुनिया के सबसे दुखी इंसान मानने को विवश हैं। उनके तीन पुत्रों की शादी हो गई है। जबकि अविवाहित राज उनका सबसे छोटा पुत्र था। एक पुत्र मुकेश की बीमारी के चलते पांच साल पहले, जबकि एक पुत्री भी हमेशा के लिए साथ छोड़ गई थी। राज गौतम गुजरात में नौकरी कर अपने परिवार का काफी सहयोग करता था। शनिवार को राज व बेटी प्रीति उर्फ पायल की मौत ने तारबाबू को अनाथ सा बना दिया है। संकट की घड़ी में लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
पापा कल तक आ जाऊंगा ..
राज अपनी बहन प्रीति उर्फ पायल व चचेरे भतीजे-भतीजी के साथ 31 दिसंबर को अजीतमल कोतवाली के दुर्वासपुर गांव में अपनी बड़ी बहन के यहां गया था। शुक्रवार को तार बाबू ने जब राज को फोन किया तो उसने कहा कि पापा कल सुबह घर आ जाऊंगा, दीदी ने नए वर्ष को यादगार पल बना दिया है। तार बाबू को यह नहीं पता था कि दोबारा कभी वह अपने पुत्र की आवाज नहीं सुन पाएंगे। आज रुक जाते भैया-
दुर्वासपुर निवासी कमलेश पत्नी गौतम रोते-रोते कह रही थी कि उन्हें नहीं पता था कि राज और उनकी बहन प्रीति उर्फ पायल व चचेरे भतीजे-भतीजी के साथ बिताए यह पल आखिरी हैं। वह कह रही थी कि भैया को हम रोक रहे थे लेकिन वे नहीं रुके। यदि रुक गए होते तो आज भी हमारे साथ होते।