Accident in Auraiya: Rajasthan-UP के 30 थाने पार करके आए थे DCM-Trolla, कार्रवाई सिर्फ चार पर
Accident in Auraiya लॉकडाउन में सख्ती के बाद भी औरैया में बीच रास्ते में न तो ट्राला और डीसीएम किसी जगह रोका गया न ही किसी ने कहीं पूछताछ ही की।
औरैया [अर्पित अवस्थी]। Accident in Auraiya: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश में लम्बे लॉकडाउन में काम-धंधा छिनने के बाद घर लौट रहे प्रवासी कामगार व श्रमिक अलग-अलग रूट के 17 और 13 थाने पार करके ट्राला व डीसीएम ट्रक के औरैया पहुंचे थे। इसके बाद इनमें से 26 को काल निगल गया और करीब दो दर्जन अभी भी इलाज करा रहे हैं।
लॉकडाउन में सख्ती के बाद भी औरैया में बीच रास्ते में न तो ट्राला और डीसीएम किसी जगह रोका गया, न ही किसी ने कहीं पूछताछ ही की। जब शुक्रवार रात भीषण हादसा होने पर चौकसी के सारे इंतजाम की पोल खुल गई। फिर, मुख्यमंत्री के निर्देश पर देर रात सूबे के एंट्री प्वाइंट वाले चार थानों के इंस्पेक्टर निलंबित कर दिए गए। रविवार को एसपी ने भी औरैया सीमा पर बने अनंतराम टोल प्लाजा पर तैनात एक दारोगा समेत सात सिपाहियों को निलंबित कर दिया। आगरा के एडीजी व आइजी, आगरा व मथुरा के एसएसपी और एएसपी से जवाब तलब किया गया। सवाल यह है कि जब दोनों ही वाहन उत्तर प्रदेश के 30 थानों को पार करते हुए निकले तो कार्रवाई सिर्फ चार थानों के 11 पुलिसकर्मियों पर ही क्यों? क्या सूबे के बाकी थानों की पुलिस और आला-अफसर जिम्मेदार नहीं?
जिस ट्राला ने शुक्रवार रात डीसीएम को टक्कर मारी थी, वह राजस्थान के अलवर से चला था। अलवर से भरतपुर होता हुआ ट्राला 364 किलोमीटर दूर औरैया तक आ गया। बीच में दो राजस्थान और 13 उत्तर प्रदेश के थाने गुजरे। यही हाल, गाजियाबाद से सागर (मप्र) के लिए बुक कराई गई डीसीएम के साथ हुआ। 378 किमी के सफर में करीब सात घंटे का वक्त लगता है, लेकिन डीसीएम भी 17 थानों की सीमा पार करके हर जगह बेरोक-टोक चली आई। दोनों वाहनों को किसी ने कहीं नहीं रोका। मुख्यमंत्री के उस आदेश पर भी किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई कि माल ढोने वाले वाहन से मजदूरों को न जाने दिया जाए। चेकिंग करते तो शायद 26 लोगों की जान बच भी सकती थी।
अलवर-औरैया के बीच पड़े थाने
अलवर, भरतपुर, फतेहपुर सीकरी, आगरा शहर, टूंडला, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज, जसवंतनगर, इटावा, इकदिल, बकेवर, अजीतमल।
गाजियाबाद से औरैया के बीच थाने
गाजियाबाद, इंदिरा पुरम, ग्रेटर नोएडा, परी चौक, जेवर, टप्पल, खदौंली-आगरा, एत्मादपुर, टूंडला, फीरोजाबाद, मक्खनपुर, शिकोहाबाद, सिरसागंज, जसवंत नगर, इटावा, इकदिल, बकेवर और औरैया।
हाइवे के लगभग हर वाहन पर कामगार
उत्तर प्रदेश में हाईवे से गुजरने वाले हर वाहन पर कामगार सवार हैैं और प्र्रशासन उन्हें रोकना भी नहीं चाहता। लखनऊ की तरफ से गोरखपुर पहुंचने वाले करीब-करीब सभी ट्रकों व अन्य मालवाहकों पर बड़ी संख्या में मजदूर सवार रहते हैं। हालांकि संतकबीरनगर जिले की सीमा पर सहजनवां के कसरवल में बैरियर लगा हुआ है लेकिन रोकने की बजाय पुलिस आंखें फेर लेती है।
चंदौली होते हुए बिहार, बंगाल, झारखंड के लिए ट्रकों और विभिन्न वाहनों से श्रमिकों के सफर का सिलसिला जारी है। जौनपुर में राजमार्गों पर ट्रक व मालवाहकों से श्रमिकों को ढोया जा रहा है। सीमा सील होने के कारण चालक सीमा से पहले उतार दे रहे हैं। बार्डर पार करते ही फिर बैठाकर रवाना हो जा रहे हैं। पुलिस ने इसे कमाई का जरिया भी बना लिया है। सोनभद्र में भी बिहार के लिए खलियारी, झारखंड को विंढमगंज और छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के लिए बीजपुर, शक्तिनगर समेत अनपरा के लिए रास्ते जारी हैं। बलिया में सरयू नदी पर बने मांझी के जयप्रभा सेतु, गंगा पर बने जनेश्वर मिश्र सेतु, महुली का पीपा पुल, सिंकदरपुर के पीपा पुल व भरोली में गंगा पर बने सेतु से बिहार में प्रवेश का क्रम जारी है। सख्ती न के बराबर है।
राजधानी लखनऊ की सीमा पर रविवार को अलबत्ता चौकसी देखी गई। उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई और बाराबंकी की सीमा पर पुलिस के साथ-साथ पीएसी के जवान भी मुस्तैद देखे गए। इस दौरान हर सीमा पर ट्रकों में बैठकर आ रहे प्रवासी श्रमिकों को रोका गया।
सहारनपुर, शामली और बागपत से हरियाणा की सीमा लगती है। तीनों जिलों में ही यमुना नदी के रास्ते प्रवासी कामगार प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं। मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर से रोजाना प्रवासी कामगारों को लेकर वाहन गुजर रहे हैं। जिन्हेंं या तो चेकिंग प्वाइंट पर रोका नहीं जाता या जानबूझ कर आगे बढ़ा दिया जाता है। शायद इसके पीछे कहीं न कहीं यह मंशा भी है कि यहां रोकेंगे तो सारे इंतजाम करने पड़ेंगे।